Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पंचम स्थान द्वितीय उद्देश
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५. वनस्पतिकायिक-असंयम (१४१)।
१४२– पंचिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविहे संजमे कजति, तं जहा सोतिंदियसंजमे, (चक्खिदियसंजमे, घाणिंदियसंजमे, जिब्भिंदियसंजमे), फासिंदियसंजमे।
पंचेन्द्रिय जीवों का आरंभ-समारंभ नहीं करने वाले को पांच प्रकार का संयम होता है, जैसे
१. श्रोत्रेन्द्रिय-संयम, २. चक्षुरिन्द्रिय-संयम, ३. घ्राणेन्द्रिय-संयम, ४. रसनेन्द्रिय-संयम, ५. स्पर्शनेन्द्रियसंयम (क्योंकि वह पाँचों इन्द्रियों का व्याधात नहीं करता) (१४२)।
१४३- पंचिंदिया णं जीवा समारभमाणस्स पंचविधे असंजमे कज्जति, तं जहासोतिदियअसंजमे, (चक्खिंदियअसंजमे, घाणिंदियअसंजमे, जिब्भिंदियअसंजमे), फासिंदियअसंजमे। ___ पंचेन्द्रिय जीवों का घात करने वाले को पांच प्रकार का असंयम होता है, जैसे
१. श्रोत्रेन्द्रिय-असंयम, २. चक्षुरिन्द्रिय-असंयम, ३. घ्राणेन्द्रिय-असंयम, ४. रसनेन्द्रिय-असंयम, ५. स्पर्शनेन्द्रियअसंयम (१४३)।
१४४ - सव्वपाणभूयजीवसत्ता णं असमारभमाणस्स पंचविहे संजमे कजति, तं जहाएगिंदियसंजमे,(बेइंदियसंजमे, तेइंदियसंजमे, चउरिदियसंजमे), पंचिंदियसंजमे।
सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्त्वों का घात नहीं करने वाले को पाँच प्रकार का संयम होता है, जैसे
१. एकेन्द्रिय-संयम, २. द्वीन्द्रिय-संयम, ३. त्रीन्द्रिय-संयम, ४. चतुरिन्द्रिय-संयम, ५. पंचेन्द्रिय-संयम (१४४)।
१४५ - सव्वपाणभूयजीवसत्ता णं समारभमाणस्स पंचविहे असंजमे कजति, तं जहा एगिदियअसंजमे, (बेइंदियअसंजमे, तेइंदियअसंजमे, चउरिंदियअसंजमे), पंचिंदियअसंजमे।
सर्व प्राण, भूत, जीव और सत्त्वों का घात करने वाले को पांच प्रकार का असंयम होता है, जैसे
१. एकेन्द्रिय-असंयम, २. द्वीन्द्रिय-असंयम, ३. त्रीन्द्रिय-असंयम, ४. चतुरिन्द्रिय-असंयम, ५. पंचेन्द्रियअसंयम (१४५)। तृणवनस्पति-सूत्र
१४६- पंचविहा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा–अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खंधबीया, बीयरुहा।
तृणवनस्पतिकायिक जीव पांच प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. अग्रबीज— जिनका अग्रभाग ही बीजरूप होता है। जैसे—कोरंट आदि। २. मूलबीज- जिनका मूल भाग ही बीज रूप होता है। जैसे—कमलकंद आदि। ३. पर्वबीज— जिनका पर्व (पोर, गांठ) ही बीजरूप होता है। जैसे—गन्ना आदि। ४. स्कन्धबीज— जिसका स्कन्ध ही बीजरूप होता है। जैसे—सल्लकी आदि। ५. बीजरूप-बीज से उगने वाले—गेहूं, चना आदि (१४६)।