Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
इन दशों इन्द्रों के पारियानिक विमान दश कहे गये हैं, जैसे
१. पालक, २. पुष्पक, ३. सौमनस, ४. श्रीवत्स, ५. नन्द्यावर्त, ६. कामक्रम, ७. प्रीतिमना, ८ मनोरम, ९. विमलवर, १०. सर्वतोभद्र (१५० ) ।
प्रतिमा - सूत्र
१५१ – दसदसमिया णं भिक्खुपडिमा एगेण रातिंदियसतेणं अद्धछट्ठेहि य भिक्खासते हिं अहासुत्तं (अहाअत्थं अहातच्चं अहामग्गं अहाकप्पं सम्मं कारणं फासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया) आराहिया यावि भवति ।
दश-दशमिका भिक्षु-प्रतिमा सौ दिन-रात, तथा ५५० भिक्षा- दत्तियों द्वारा यथासूत्र, यथाअर्थ, यथातथ्य, यथामार्ग, यथाकल्प तथा सम्यक् प्रकार काय से आचरित, पालित, शोधित, पूरित, कीर्त्तित और आराधित की जाती है (१५१) ।
जीव-सूत्र
१५२ – दसविधा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा— पढमसमयएगिंदिया, अपढमसमयएगिंदिया, (पढमसमयबेइंदिया, अपढमसमयबेइंदिया, पढमसमयतेइंदिया, अपढमसमयतेइंदिया, पढमसमयचउरिदिया, अपढमसमयचउरिदिया, पढमसमयपंचिंदिया, ) अपढमसमयपंचिंदिया | संसारी जीव दश प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. प्रथम — जिनको उत्पन्न हुए प्रथम समय ही है ऐसे एकेन्द्रिय जीव ।
२. अप्रथम — जिनको उत्पन्न हुए एक से अधिक समय हो चुका है ऐसे एकेन्द्रिय जीव ।
३. प्रथम समय में उत्पन्न द्वीन्द्रिय जीव ।
४. अप्रथम समय में उत्पन्न द्वीन्द्रिय जीव । ५. प्रथम समय में उत्पन्न त्रीन्द्रिय जीव । ६. अप्रथम समय में उत्पन्न त्रीन्द्रिय जीव । ७. प्रथम समय में उत्पन्न चतुरिन्द्रिय जीव । ८. अप्रथम समय में उत्पन्न चतुरिन्द्रिय जीव । ९. प्रथम समय में उत्पन्न पंचेन्द्रिय जीव ।
१०. अप्रथम समय में उत्पन्न पंचेन्द्रिय जीव (१५२ ) ।
१५३- दसविधा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा पुढविकाइया, (आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया), वणस्सइकाइया, बेंदिया, (तेइंदिया, चउरिंदिया), पंचेंदिया, अनिंदिया ।
अहवा— दसविधा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा— पढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरड्या, (पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणुया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा,) अपढमसमयदेवा, पढमसमयसिद्धा, अपढमसमयसिद्धा ।