Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 801
________________ ७३४ स्थानाङ्गसूत्रम् ६. अप्रथम समय–त्रीन्द्रिय निर्वर्तित पुद्गलों का। ७. प्रथम समय— चतुरिन्द्रिय निर्वर्तित पुद्गलों का। ८. अप्रथम समय— चतुरिन्द्रिय निर्वर्तित पुद्गलों का। ९. प्रथम समय- पंचेन्द्रिय निर्वर्तित पुद्गलों का। १०. अप्रथम समय- पंचेन्द्रिय निर्वर्तित पुद्गलों का। इसी प्रकार उनका चय, उपचय, बंधन, उदीरण, वेदन और निर्जरण किया है, करते हैं और करेंगे (१७३)। पुद्गल-सूत्र १७४ - दसपएसिया खंधा अणंता पण्णत्ता। दश प्रदेशी पुद्गलस्कन्ध अनन्त कहे गये हैं (१७४)। १७५- दसपएसोगाढा पोग्गला अणंता पण्णत्ता। दश प्रदेशावगाढ पुद्गल अनन्त कहे गये हैं (१७५)। १७६- दससमयठितीया पोग्गला अणंता पण्णत्ता। दश समय की स्थिति वाले पुद्गल अनन्त कहे गये हैं (१७५)। १७७– दसगुणकालगा पोग्गला अणंता पण्णत्ता। दश गुण काले पुद्गल अनन्त कहे गये हैं (१७७)। १७८- एवं वण्णेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता। इसी प्रकार शेष वर्ण तथा गन्ध, रस और स्पर्शों के दश-दश गुण वाले पुद्गल अनन्त कहे गये हैं (१७८)। ॥ दशम स्थानक समाप्त ॥ ॥स्थानांग समाप्त ॥

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