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स्थानाङ्गसूत्रम्
हैं, जैसे
१. विजया, २. वैजयन्ती, ३. जयन्ती, ४. अपराजिता, ५. चक्रपुरी, ६. खड्गपुरी, ७. अवध्या, ८. अयोध्या (७६)।
७७– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरे णं उक्कोसपए अट्ठ अरहंता, अट्ठ चक्कवट्टी, अट्ठ बलदेवा, अट्ठ वासुदेवा उप्पग्जिसु वा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में उत्कृष्टतः आठ अर्हत् (तीर्थंकर), आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (७७)।
७- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए [महाणदीए ?] दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव।
___ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में उत्कृष्टतः इसी प्रकार आठ अर्हत्, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (७८)।
७९– जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओयाए महाणदीए दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के दक्षिण में उत्कृष्टतः इसी प्रकार आठ अर्हत्, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (७९)।
८०- एवं उत्तरेणवि।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में शीतोदा महानदी के उत्तर में उत्कृष्टतः इसी प्रकार आठ अर्हत्, आठ चक्रवर्ती, आठ बलदेव और आठ वासुदेव उत्पन्न हुए थे, उत्पन्न होते हैं और उत्पन्न होंगे (८०)।
८१- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणईए उत्तरे णं अट्ठ दीहवेयड्डा, अट्ठ तिमिसगुहाओ, अट्ठ खंडगप्पवातगुहाओ, अट्ठ कयमालगा देवा, अट्ठ णट्टमालगा देवा, अट्ठ गंगाकुंडा, अट्ठ सिंधुकुंडा, अट्ठ गंगाओ, अट्ठ सिंधूओ, अट्ठ उसभकूडा पव्वता, अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के उत्तर में आठ दीर्घ वैताढ्य, आठ तमित्र गुफाएं, आठ खण्डकप्रताप गुफाएं, आठ कृतमालक देव, आठ गंगाकुण्ड, आठ सिन्धुकुण्ड, आठ गंगा, आठ सिन्धु, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं (८१)।
८२- जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए दाहिणे णं अट्ठ दीहवेअड्डा एवं चेव जाव अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता, णवरमेत्थ रत्त-रत्तावती, तासिं चेव कुंडा। ____ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व में शीता महानदी के दक्षिण में आठ दीर्घ वैताढ्य, आठ तमिस्र गुफाएं, आठ खण्डकप्रपात गुफाएं, आठ कृतमालक देव, आठ रक्ताकुण्ड, आठ रक्तवती कुण्ड, आठ रक्ता, आठ रक्तवती, आठ ऋषभकूट पर्वत और आठ ऋषभकूट देव हैं (८२)।