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दशम स्थान
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धर्म-सूत्र
१३५- दसविधे धम्मे पण्णत्ते, तं जहागामधम्मे, णगरधम्मे, रट्ठधम्मे, पासंडधम्मे, कुलधम्मे, गणधम्मे, संघधम्मे, सुयधम्मे, चरित्तधम्मे, अत्थिकायधम्मे।
धर्म दश प्रकार का कहा गया है, जैसे१. ग्रामधर्म— गाँव की परम्परा या व्यवस्था का पालन करना। २. नगरधर्म- नगर की परम्परा या व्यवस्था का पालन करना। ३. राष्ट्रधर्म- राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्य का पालन करना। ४. पाषण्डधर्म- पापों का खंडन करने वाले आचार का पालन करना। ५. कुलधर्म- कुल के परम्परागत आचार का पालन करना। ६. गणधर्म- गणतंत्र राज्यों की परम्परा या व्यवस्था का पालन करना। ७. संघधर्म- संघ की मर्यादा और व्यवस्था का पालन करना। ८. श्रुतधर्म- द्वादशांग श्रुत की आराधना या अभ्यास करना। ९. चारित्रधर्म-संयम की आराधना करना, चारित्र का पालना।
१०. अस्तिकायधर्म- अस्तिकाय अर्थात् बहुप्रदेशी द्रव्यों का धर्म (स्वभाव) (१३५)। स्थविर-सूत्र
१३६- दस थेरा. पण्णत्ता, तं जहा—गामथेरा, णगरथेरा, रटुथेरा, पसत्थथेरा, कुलथेरा, गणथेरा, संघथेरा, जातिथेरा, सुअथेरा, परियायथेरा।
स्थविर (ज्येष्ठ या वृद्ध ज्ञानी पुरुष) दश प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. ग्राम-स्थविर- ग्राम का व्यवस्थापक, ज्येष्ठ, वृद्ध और ज्ञानी पुरुष। २. नगर-स्थविर- नगर का व्यवस्थापक, ज्येष्ठ, वृद्ध और ज्ञानी पुरुष। ३. राष्ट्र-स्थविर- राष्ट्र का व्यवस्थापक, ज्येष्ठ, वृद्ध और ज्ञानी पुरुष। ४. प्रशास्तृ-स्थविर- प्रशासन करने वाला प्रधान अधिकारी। ५. कुल-स्थविर- लौकिक पक्ष में कुल का ज्येष्ठ या वृद्धपुरुष। ___ लोकोत्तर पक्ष में एक आचार्य की शिष्य परम्परा में ज्येष्ठ साधु । ६. गण-स्थविर- लौकिक पक्ष में गणराज्य का प्रधान पुरुष।
लोकोत्तर पक्ष में साधुओं के गण में ज्येष्ठ साधु । ७. संघ-स्थविर- लौकिक पक्ष में राज्य संघ का प्रधान पुरुष। __लोकोत्तर पक्ष में साधु संघ का ज्येष्ठ साधु। ८. जाति-स्थविर- साठ वर्ष या इससे अधिक आयुवाला वृद्ध। ९. श्रुत-स्थविर स्थानांग और समवायांग श्रुत का धारक श्रुत। १०. पर्याय-स्थविर- बीस वर्ष की या इससे अधिक की दीक्षा पर्यायवाला साधु (१३६)।