Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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नवम स्थान
५५
एवं वप्पे दीहवेयड्ढे ।
इसी प्रकार व विजय में विद्यमान दीर्घ वैताढ्य के ऊपर नौ कूट कहे गये हैं (५५)। ५६— - एवं जाव गंधिलावतिम्मि दीहवेयड्ढे णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्धे गंधिल खंडग, माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा । गंधिलावति वेसमणे, कूडाणं होंति णामाई ॥ १ ॥
एवं सव्वेसु दीहवेयड्ढेसु दो कूडा सरिसणामगा, सेसा ते चेव ।
इसी प्रकार सुवप्र, महावप्र, वप्रकावती, वल्गु, सुवल्गु, गन्धिल और गन्धिलावती में विद्यमान दीर्घ वैताढ्य के ऊपर नौ-नौ कूट कहे गये हैं, जैसे—
६६३
१. सिद्धायतन कूट, २. गन्धिलावती कूट, ३. खण्डकप्रपातगुफा कूट, ४. माणिभद्र कूट, ५. वैताढ्य कूट,
६. पूर्णभद्र कूट, ७. तमिस्रगुफा कूट, ८. गन्धिलावती कूट, ९. वैश्रमण कूट (५६) ।
इसी प्रकार सभी दीर्घवैताढ्यों के ऊपर दो-दो (दूसरा और आठवां) कूट एक ही नाम के ( उसी विजय के नाम के) हैं और शेष सात कूट वे ही हैं ।
५७ • जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं णीलवंते वासहरपव्वते णव कूड़ा पण्णत्ता, तं जहां
सिद्धे णीलवंते विदेह, सीता कित्ती य णारिकंता य । अवरविदेहे उवदंसणे
रम्मगकूडे,
चेव ॥ १॥
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के ऊपर उत्तर में नीलवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर
कूट कहे गये
हैं, जैसे—
१. सिद्धायतन कूट, २. नीलवान् कूट, ३. पूर्वविदेह कूट, ४. सीता कूट, ५. कीर्ति कूट, ६. नारिकान्ता कूट, ७. अपरविदेह कूट, ८. रम्यक कूट, ९. उपदर्शन कूट (५७) ।
५८ — जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं एरवते दीहवेतड्ढे णव कूडा पण्णत्ता, जहा
सिद्धेरवए खंडग, माणी वेयड्ढ पुण्ण तिमिसगुहा । एरव समणे, एरव कूडणामाई ॥ १॥
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र के दीर्घ वैताढ्य के ऊपर नौ कूट कहे गये
हैं, जैसे—
१. सिद्धायतन कूट, २. ऐरवत कूट, ३. खण्डकप्रपातगुफा कूट, ४. माणिभद्र कूट, ५. वैताढ्य कूट, ६. पूर्णभद्र कूट, ७. तमिस्त्रगुफा कूट, ८. ऐरवत कूट, ९. वैश्रमण कूट (५८) ।
पार्श्व-उच्चत्त्व-सूत्र
५९ – पासे णं अरहा पुरिसादाणीए वज्जरिसहणारायसंघयणे समचउरंस- संठाण-संठिते णव