Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 783
________________ ७१६ १११ – कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, संग्रह - श्लोक तं जहा मियापुत्ते य गोत्तासे, अंडे सगडेति यावरे । माहणे णंदिसेणे, सोरिए य उदुंबरे ॥ सहसुद्दाहे आमलए, कुमारे लेच्छई इति ॥ १ ॥ कर्मविपाकदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं, जैसे १. मृगापुत्र, २. गोत्रास, ३. अण्ड, ४. शकट, ५. ब्राह्मण, ६. नन्दिषेण, ७. शौरिक, ८. उदुम्बर, ९. सहस्रोद्दाह आमरक, १०. कुमारलिच्छवी (१११) । विवेचन — उल्लिखित सूत्र में गिनाए गए अध्ययन दुःखविपाक के हैं, किन्तु इन नामों में और वर्तमान में उपलब्ध नामों में 'कुछ को छोड़कर भिन्नता पाई जाती है। ११२ —— उवासगदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा आणंदे कामदेवे आ, गाहावतिचूलणीपिता । सुरादेवे चुल्लसतए, गाहावतिकुंडकोलिए ॥ सद्दालपुत्ते महासतए, णंदिणीपिया लेइयापिता ॥ १ ॥ स्थानाङ्गसूत्रम् उपासकदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं, जैसे १. आनन्द, २. कामदेव, ३. गृहपति चूलिनीपिता, ४. सुरादेव, ५. चुल्लशतक, ६. गृहपति कुण्डकोलिक, ७. सद्दालपुत्र, ८. महाशतक, ९. नन्दिनीपिता, १०. लेयिका (सालिही) पिता (११२) । ११३ – अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा— [ मि मातंगे सोमिले, रामगुत्ते सुदंसणे चेव जमाली य भगाली य, किंकसे चिल्लए ति य 11 फाले अंबडपुत्ते य एमेते दस आहिता ॥ १ ॥ अन्तकृत्दशा के दश अध्ययन कहे गये हैं, जैसे— १. नमि, २. मातंग, ३. सोमिल, ४. रामगुप्त, ५. सुदर्शन, ६. जमाली, ७. भगाली, ८. किंकष, ९. चिल्वक, १०. पाल अम्बडपुत्र (११३) । ११४ - अणुत्तरोववातियदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा इसिदासे य धण्णे य, सुणक्खत्ते कातिए ति य । संठाणे सालिभद्दे य, आणंदे तेतली ति य ॥ दसण्णभद्दे अतिमुत्ते, एमेते दस आहिया ॥ १ ॥ अनुत्तरोपपातिकदशा के दश अध्ययन कहे गये हैं, जैसे १. ऋषिदास, २. धन्य, ३. सुनक्षत्र, ४ कार्तिक, ५. संस्थान, ६. शालिभद्र, ७. आनन्द, ८. तेतली,

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