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दशम स्थान
संख्यान (गणित) दश प्रकार का कहा गया है, जैसे—
१. परिकर्म — जोड़, बाकी, गुणा, भाग आदि गणित ।
२. व्यवहार — पाटी गणित - प्रसिद्ध श्रेणी व्यवहार, मिश्रक व्यवहार आदि ।
३. रज्जु क्षेत्रगणित, रज्जु से कूप आदि की लंबाई- गहराई आदि की माप विधि
४. राशि — धान्य आदि के ढेर को नापने का गणित ।
५. कलासवर्ण अंशों वाली संख्या समान करना ।
६. यावत्-तावत् —— गुणकार या गुणा करने वाला गणित ।
७. वर्ग दो समान संख्या का गुणन - फल ।
८. घन — तीन समान संख्याओं का गुणनफल ।
९. वर्ग-वर्ग — वर्ग का वर्ग ।
१०. कल्प— लकड़ी आदि की चिराई आदि का माप करने वाला गणित ( १०० ) ।
प्रत्याख्यान-सूत्र
१०१ – दसविधे पच्चक्खाणे पण्णत्ते, तं जहा
अणागयमतिक्कंतं, कोडीसहियं णियंटितं चेव । सागारमणागारं परिमाणकडं णिरवसेसं ॥ . संकेगं चेव अद्धाए, पच्चक्खाणं दसविहं तु ॥ १॥
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प्रत्याख्यान दश प्रकार का कहा गया है, जैसे
१. अनागत- प्रत्याख्यान— आगे किये जाने वाले तप को पहले करना ।
२. अतिक्रान्त- प्रत्याख्यान— जो तप कारणवश वर्तमान में न किया जा सके, उसे भविष्य में करना । ३.· कोटिसहित-प्रत्याख्यान — जो एक प्रत्याख्यान का अन्तिम दिन और दूसरे प्रत्याख्यान का आदि दिन हो, वह कोटिसहित प्रत्याख्यान है।
४. नियंत्रित-प्रत्याख्यान— नीरोग या सरोग अवस्था में नियंत्रण या नियमपूर्वक अवश्य ही किया जानेवाला
तप ।
५. सागार - प्रत्याख्यान— आगार या अपवाद के साथ किया जाने वाला तप ।
६. अनागार- प्रत्याख्यान — अपवाद या छूट के बिना किया जाने वाला तप ।
७. परिमाणकृत - प्रत्याख्यान — दत्ति, कवल, गृह, द्रव्य, भिक्षा आदि के परिमाणवाला प्रत्याख्यान ।
८. निरवशेष-प्रत्याख्यान — चारों प्रकार के
आहार का सर्वथा परित्याग ।
९. संकेत - प्रत्याख्यान — संकेत या चिह्न के
साथ किया जाने वाला प्रत्याख्यान ।
१०. अद्धा-प्रत्याख्यान— मुहूर्त, प्रहर आदि काल की मर्यादा के साथ किया जाने वाला प्रत्याख्यान
(१०१) ।