Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 747
________________ ६८० स्थानाङ्गसूत्रम् संयम दश प्रकार का कहा गया है। जैसे१. पृथ्वीकायिक-संयम, २. अप्कायिक-संयम, ३. तेजस्कायिक-संयम, ४. वायुकायिक-संयम, ५. वनस्पतिकायिक-संयम, ६. द्वीन्द्रिय-संयम, ७. त्रीन्द्रिय-संयम, ८. चतुरिन्द्रिय-संयम, ९. पंचेन्द्रिय-संयम, १०. अजीवकाय-संयम (८)। ९-दसविधे असंजमे पण्णत्ते, तं जहा–पुढविकाइयअसंजमे, आउकाइयअसंजमे, तेउकाइयअसंजमे, वाउकाइयअसंजमे, वणस्सतिकाइयअसंजमे, (बेइंदियअसंजमे, तेइंदियअसंजमे, चउरिदियअसंजमे, पंचिंदियअसंजमे), अजीवकायअसंजमे। असंयम दश प्रकार का कहा गया है, जैसे१. पृथ्वीकायिक-असंयम, २. अप्कायिक-असंयम, ३. तेजस्कायिक-असंयम, ४. वायुकायिक-असंयम, ५. वनस्पति-कायिक-असंयम, ६. द्वीन्द्रिय-असंयम, ७. त्रीन्द्रिय-असंयम, ८. चतुरिन्द्रिय-असंयम, ९. पंचेन्द्रिय-असंयम, १०. अजीवकाय-असंयम (९)। संवर-असंवर-सूत्र १०- दसविधे संवरे पण्णत्ते, तं जहा—सोतिंदियसंवरे, (चक्खिदियसंवरे, घाणिंदियसंवरे, जिब्भिदियसंवरे), फासिंदियसंवरे, मणसंवरे, वयसंवरे, कायसंवरे, उवकरणसंवरे, सूचीकुसग्गसंवरे। संवर दश प्रकार का कहा गया है, जैसे१. श्रोत्रेन्द्रिय-संवर, २. चक्षुरिन्द्रिय-संवर, ३. घाणेन्द्रिय-संवर, ४. रसनेन्द्रिय-संवर, ५. स्पर्शनेन्द्रिय-संवर, ६. मन-संवर, ७. वचन-संवर, ८. काय-संवर, ९. उपकरण-संवर, १०. सूचीकुशाग्र-संवर (१०)। विवेचन- प्रस्तुत सूत्र में आदि के आठ भावसंवर और अन्त के दो द्रव्यसंवर कहे गये हैं। उपकरणों के संवर को उपकरणसंवर कहते हैं। उपधि (उपकरण) दो प्रकार की होती है—ओघ-उपधि और उपग्रह-उपधि। जो उपकरण प्रतिदिन काम में आते हैं उन्हें ओघ-उपधि कहते हैं और जो किसी कारण-विशेष से संयम की रक्षा के लिए ग्रहण किये जाते हैं उन्हें उपग्रह-उपधि कहते हैं। इन दोनों प्रकार की उपधि का यतनापूर्वक संरक्षण करना उपकरण-संवर है। सूई और कुशाग्र का संवरण कर रखना सूचीकुशाग्र-संवर कहलाता है। कांटा आदि निकालने या वस्त्र आदि सीने के लिए सूई रखी जाती है। इसी प्रकार कारण-विशेष से कुशाग्र भी ग्रहण किये जाते हैं। इनकी संभाल रखना—कि जिससे अंगच्छेद आदि न हो सके। इन दोनों पदों को उपलक्षण मानकर इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं की भी सार-संभाल रखना सूचीकुशाग्र-संवर है। ११– दसविधे असंवरे पण्णत्ते, तं जहा—सोतिंदियअसंवरे, (चक्खिदियअसंवरे, घाणिंदियअसंवरे, जिब्भिदियअसंवरे, फासिंदियअसंवरे, मणअसंवरे, वयअसंवरे, कायअसंवरे, उवकरणअसंवरे, सूचीकुसग्गअसंवरे। असंवर दश प्रकार का कहा गया है, जैसे

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