Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
सिप्पसतं कम्माणि य, तिण्णि पयाए हियकराई ॥७॥ लोहस्स य उप्पत्ती, होइ महाकाले आगराणं च । रुप्पस्स सुवण्णस्स य, मणि-मोत्ति-सिल-प्पवालाणं ॥८॥ जोधाण य उप्पत्ती, आवरणाणं च पहरणाणं च । सव्वा य जुद्धनीती, माणवए दंडणीती य ॥९॥ णट्ठविही णाडगविही, कव्वस्स चउव्विहस्स उप्पत्ती ।। संखे महाणिहिम्मी, तुडियंगाणं च सव्वेसिं ॥१०॥ चक्कट्ठपइट्ठाणा, अठुस्सेहा य णव य विक्खंभे । बारसदीहा मंजूस-संठिया जह्नवीए मुहे ॥ ११॥ केलियमणि-कवाडा,कणगमया विविध-रयण-पडिपुण्णा । ससि-सूर-चक्क-लक्खण-अणुसम-जुग-बाहु-वयणा य ॥१२॥ पलिओवमद्वितीया, णिहिसरिणाम य तेसु खलु देवा। जेसिं ते आवासा, अक्किज्जा आहिवच्चा वा ॥ १३॥ एए ते णवणिहिणो, पभूतधणरयणसंचयसमिद्धा ।
जे वसमुवगच्छंती, सव्वेसिं चक्कवट्टीणं ॥ १४॥ एक-एक चातुरन्त चक्रवर्ती राजा की नौ-नौ निधियाँ कही गई हैं, जैसे
संग्रहणी-गाथा- १. नैसर्पनिधि, २. पाण्डुकनिधि, ३. पिंगलनिधि, ४. सर्वरत्ननिधि, ५. महापद्मनिधि, ६. कालनिधि, ७. महाकालनिधि, ८. माणवकनिधि, ९. शंखनिधि ॥ १॥
१. ग्राम, आकर, नगर, पट्टन, द्रोणमुख, मडंब, स्कन्धावार और गृहों की नैसर्पनिधि से प्राप्ति होती है ॥२॥ २. गणित तथा बीजों के मान-उन्मान का प्रमाण तथा धान्य और बीजों की उत्पत्ति पाण्डुक महानिधि से
होती है ॥३॥ ३. स्त्री, पुरुष, घोड़े और हाथियों के समस्त वस्त्र-आभूषण की विधि पिंगलकनिधि में कही गई है ॥४॥ ४. चक्रवर्ती के सात एकेन्द्रिय रत्न और सात पंचेन्द्रिय रत्न, ये सब चौदह श्रेष्ठरत्न सर्वरत्ननिधि से उत्पन्न ___होते हैं ॥५॥ ५. रंगे हुए या श्वेत सभी प्रकार के वस्त्रों की उत्पत्ति और निष्पत्ति महापद्मनिधि से होती है ॥६॥ ६. अतीत और अनागत के तीन-तीन वर्षों के शुभाशुभ का ज्ञान, सौ प्रकार के शिल्प, प्रजा के लिए ____ हितकारक सुरक्षा, कृषि और वाणिज्य कर्म काल महानिधि से प्राप्त होते हैं ॥७॥ ७. लोहे, चांदी तथा सोने के आकर, मणि, मुक्ता, स्फटिक और प्रवाल की उत्पत्ति महाकालनिधि से होती
है ॥८॥ ८. योद्धाओं, आवरणों (कवचों) और आयुधों की उत्पत्ति, सर्व प्रकार की युद्धनीति और दण्डनीति की