Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
गंधारे गीतजुत्तिणा, वज्जवित्ती कलाहिया । भवंति कइओ पण्णा, जे अण्णे सत्थपारगा ॥३॥ मज्झिमसरसंपण्णा, भवंति सुहजीविणो ।
खायती पियती देती, मज्झिमसरमस्सितो ॥ ४॥ पंचमसरसंपण्णा, भवंति पुढवीपती । सूरा संगहकत्तारो अणेगगणणायगा ॥ ५॥ धेवतसरसंपण्णा, भवंति कलहप्पिया । 'साउणिया वग्गुरिया, सोयरिया मच्छबंधा य' ॥६॥ 'चंडाला मुट्ठीया मेया, जे अण्णे पावकम्मिणो ।
गोघातगा य जे चोरा, णेसायं सरमस्सिता' ॥ ७॥ इन सात स्वरों के सात स्वर-लक्षण कहे गये हैं, जैसे१. षड्ज स्वर वाला मनुष्य आजीविका प्राप्त करता है, उसका प्रयत्न व्यर्थ नहीं जाता। उसके गाएं, मित्र और
पुत्र होते हैं। वह स्त्रियों को प्रिय होता है। २. ऋषभ स्वर वाला मनुष्य ऐश्वर्य, सेनापतित्व, धन, वस्त्र, गन्ध, आभूषण, स्त्री, शयन और आसन को
प्राप्त करता है। ३. गान्धार स्वर वाला मनुष्य गाने में कुशल, वादित्र वृत्तिवाला, कलानिपुण, कवि, प्राज्ञ और अनेक शास्त्रों ___ का पारगामी होता है।
४. मध्यम स्वर से सम्पन्न पुरुष सुख से खाता, पीता, जीता और दान देता है। . ५. पंचम स्वर वाला पुरुष भूमिपाल, शूर-वीर, संग्राहक और अनेक गणों का नायक होता है।
६. धैवत स्वर वाला पुरुष कलह-प्रिय, पक्षियों को मारने वाला (चिड़ीमार) हिरण, सूकर और मच्छी मारने ___ वाला होता है। ७. निषाद स्वर वाला पुरुष चाण्डाल, वधिक, मुक्केबाज, गो-घातक, चोर और अनेक प्रकार के पाप करने ___ वाला होता है (४३)।
४४- एतेसि णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता, तं जहा सजगामे, मज्झिमगामे, गंधारगामे।
इन सातों स्वरों के तीन ग्राम कहे गये हैं, जैसे१. षड्जग्राम, २. मध्यमग्राम, ३. गान्धारग्राम (४४)। ४५- सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
मंगी कोरव्वीया, हरी य रयणी य सारकंता य । छट्ठी य सारसी णाम, सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥१॥