Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
५. जंगोली—विष-चिकित्साशास्त्र। ६. भूतविद्या— भूत, प्रेत, यक्षादि से पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सा का शास्त्र। ७. क्षारतन्त्र— वाजीकरण, वीर्य-वर्धक औषधियों का शास्त्र।
८. रसायन— पारद आदि धातु-रसों आदि के द्वारा चिकित्सा का शास्त्र (२६)। अग्रमहिषी-सूत्र
२७- सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अटुग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—पउमा, सिवा, सची, अंजू, अमला, अच्छरा, णवमिया, रोहिणी।
देवेन्द्र देवराज शक्र के आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, जैसे१. पद्मा, २. शिवा, ३. शची, ४. अंजु, ५. अमला, ६. अप्सरा, ७. नवमिका, ८. रोहिणी (२७)।
२८- ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अटुग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिता, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा।
देवेन्द्र देवराज ईशान के आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, जैसे१. कृष्णा, २. कृष्णराजी, ३. रामा, ४. रामरक्षिता, ५. वसु, ६. वसुगुप्ता, ७. वसुमित्रा, ८. वसुन्धरा (२८)। २९- सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अट्ठग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज सोम के आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं (२९)। ३०-ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारणो अट्ठग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ।
देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल महाराज वैश्रमण के आठ अग्रमहिषियाँ कही गई हैं (३०)। महाग्रह-सूत्र
३१- अट्ठ महग्गहा पण्णत्ता, तं जहा—चंदे, सूरे, सुक्के, बुहे, बहस्सती, अंगारे, सणिंचरे, केऊ ।
आठ महाग्रह कहे गये हैं, जैसे
१. चन्द्र, २. सूर्य, ३. शुक्र, ४. बुध, ५. बृहस्पति, ६. अंगार, ७. शनैश्चर, ८. केतु (३१)। तृणवनस्पति-सूत्र
. ३२- अट्ठविधा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा मूले, कंदे, खंधे, तया, साले, पवाले, पत्ते, पुप्फे।
तृण वनस्पतिकायिक आठ प्रकार के कहे गये हैं, जैसे. १. मूल, २. कन्द, ३. स्कन्ध, ४. त्वचा, ५. शाखा, ६. प्रवाल (कोंपल),७. पत्र, ८. पुष्प (३२)।