Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
हेरण्णवते, हरिवासे, रम्मगवासे) महाविदेह।
धातकीषण्डद्वीप के पूर्वार्ध में सात वर्ष (क्षेत्र) कहे गये हैं, जैसे१. भरत, २. ऐरवत, ३. हैमवत, ४. हैरण्यवत, ५. हरिवर्ष, ६. रम्यकवर्ष, ७. महाविदेह (५४)।
५५- धायइसंडदीवपुरथिमद्धे णं सत्त वासहरपव्वता पण्णत्ता, तं जहा—चुल्लहिमवंते, (महाहिमवंते, णिसढे, णीलवंते, रुप्पी, सिहरी), मंदरे।
धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में सात वर्षधर पर्वत कहे गये हैं, जैसे१. क्षुद्रहिमवान्, २. महाहिमवान्, ३. निषध, ४. नीलवान्, ५. रुक्मी, ६. शिखरी, ७. मन्दर (५५)।
५६- धायइसंडदीवपुरथिमद्धे णं सत्त महाणदीओ पुरत्थाभिमुहीओ कालोयसमुदं समप्येति, तं जहा—गंगा, (रोहिता, हरी, सीता, णरकंता, सुवण्णकूला), रत्ता।
धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में सात महानदियाँ पूर्वाभिमुख होती हुई कालोदसमुद्र में मिलती हैं, जैसे१. गंगा, २. रोहिता, ३. हरित्, ४. सीता, ५. नरकान्ता, ६. सुवर्णकूला, ७. रक्ता (५६)।
५७–थायइसंडदीवपुरथिमद्धे णं सत्त महाणदीओ पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्येति, तं जहा–सिंधू, (रोहितंसा, हरिकंता, सीतोदा, णारिकंता, रुप्पकूला), रत्तावती।
धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में सात महानदियाँ पश्चिमाभिमुख होती हुई लवणसमुद्र में मिलती हैं, जैसे१. सिन्धु, २. रोहितांशा, ३. हरिकान्ता, ४. सीतोदा, ५. नारीकान्ता, ६. रूप्यकूला, ७. रक्तवती (५७)।
५८- धायइसंडदीवे पच्चत्थिमद्धे णं सत्तवासा एवं चेव, णवरं—पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ कालोदं। सेसं तं चेव।
धातकीषण्ड द्वीप के पश्चिमार्ध में सात वर्ष, सात वर्षधर पर्वत और सात महानदियां इसी प्रकारधातकीखण्ड के पूर्वार्ध के समान ही हैं। अन्तर केवल इतना है कि पूर्वाभिमुखी नदियां लवणसमुद्र में और पश्चिमाभिमुखी नदियां कालोदसमुद्र में मिलती हैं। शेष सर्व वर्णन वही है (५८)। __५९—पुक्खरवरदीवड्डपुरथिमद्धे णं सत्त वासा तहेव, नवरं—पुरत्थाभिमुहाओ पुक्खरोदं समुदं समप्पेंति, पच्चस्थाभिमुहीओ कालोदं समुदं समप्पेंति। सेसं तं चेव।
पुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध में सात वर्ष, सात वर्षधर पर्वत और सात महानदियाँ तथैव हैं, अर्थात् धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध के समान ही हैं। अन्तर केवल इतना ही है कि पूर्वाभिमुखी नदियां पुष्करोदसमुद्र में और पश्चिमाभिमुखी नदियां कालोदसमुद्र में मिलती हैं (५९)।
६०—एवं पच्चत्थिमद्धेवि नवरं—पुरत्थाभिमुहीओ कालोदं समुदं समप्पेंति, पच्यत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समप्पेंति। सवत्थ वासा वासहरपव्वता णदीओ य भाणितव्वाणि।
इसी प्रकार अर्धपुष्करवर द्वीप के पश्चिमार्ध में सात वर्ष, सात वर्षधर पर्वत और सात महानदियां धातकीषण्ड द्वीप के पश्चिमार्थ के समान ही हैं। अन्तर केवल इतना है कि पूर्वाभिमुखी नदियां कालोदसमुद्र में और पश्चिमाभिमुखी