Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम् रस, ५. स्पर्शनेन्द्रिय का अर्थ स्पर्श (१७६)। मुंड-सूत्र
१७७– पंच मुंडा पण्णत्ता, तं जहा—सोतिंदियमुंडे, चक्खिंदियमुंडे, घाणिंदियमुंडे, जिब्भिंदियमुंडे, फासिंदियमुंडे।
अहवा-पंच मुंडा पण्णत्ता, तं जहा कोहमुंडे, माणमुंडे, मायामुंडे, लोभमुंडे, सिरमुंडे। मुण्ड (इन्द्रियविषय-विजेता) पांच प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. श्रोत्रेन्द्रियमुण्ड— शुभ-अशुभ शब्दों में राग-द्वेष के विजेता। २. चक्षुरिन्द्रियमुण्ड— शुभ-अशुभ रूपों में राग-द्वेष के विजेता। ३. घ्राणेन्द्रियमुण्ड- शुभ-अशुभ गन्ध में राग-द्वेष के विजेता। ४. रसनेन्द्रियमुण्ड— शुभ-अशुभ रसों में राग-द्वेष के विजेता। ५. स्पर्शनेन्द्रियमुण्ड— शुभ-अशुभ स्पर्शों में राग-द्वेष के विजेता। अथवा मुण्ड पांच प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. क्रोधमुण्ड-क्रोध कषाय के विजेता। २. मानमुण्ड- मान कषाय के विजेता। ३. मायामुण्ड-माया कषाय के विजेता। ४. लोभमुण्ड- लोभ कषाय के विजेता।
५. शिरोमुण्ड— मुंडे शिरवाला (१७७)। बादर-सूत्र
१७८- अहेलोगे णं पंच बायरा पण्णत्ता, तं जहा—पुढविकाइया, आउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, ओराला तसा पाणा।
अधोलोक में पाँच प्रकार के बादर जीव कहे गये हैं, जैसे
१. पृथिवीकायिक, २. अप्कायिक, ३. वायुकायिक, ४. वनस्पंतिकायिक, ५. उदार त्रस (द्वीन्द्रियादि) प्राणी (१७८)।
१७९- उड्डलोगे णं पंच बायरा पण्णत्ता, तं जहा—(पुढविकाइया, आउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, ओराला तसा पाणा)।
ऊर्ध्वलोक में पाँच प्रकार के बादर जीव कहे गये हैं, जैसे१. पृथिवीकायिक, २. अप्कायिक, ३. वायुकायिक, ४. वनस्पतिकायिक, ५. उदारत्रस प्राणी (१७९) ।
१८०– तिरियलोगे णं पंच बायरा पण्णत्ता, तं जहा—एगिदिया, (बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया) पंचिंदिया।
तिर्यक्लोक में पाँच प्रकार के बादर जीव कहे गये हैं, जैसे