Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
१. अला, २. शक्रा, ३. शतेरा, ४. सौदामिनी, ५. इन्द्रा, ६. घनविद्युत् (५४)। अग्रमहिषी-सूत्र
५५ - धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—अला, सक्का, सतेरा, सोतामणि, इंदा, घणविजुया।
नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, जैसे१. अला (आला), २. शक्रा, ३. शतेरा, ४. सौदामिनी, ५. इन्द्रा, ६. घनविद्युत् (५५)।
५६- भूताणंदस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो छ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा–रूवा, रूवंसा, सुरूवा, रूववती, रूवकंता, रूवप्पभा।
नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानन्द की छह अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे१. रूपा, २. रूपांशा, ३. सुरूपा, ४. रूपवती, ५. रूपकान्ता, ६. रूपप्रभा (५६)। ५७– जहा धरणस्स तहा सव्वेसिं दाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स।
जिस प्रकार धरण की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, उसी प्रकार भवनपति इन्द्र वेणुदेव, हरिकान्त, अग्निशिख, पूर्ण, जलकान्त, अमितगति, बेलम्ब और घोष इन सभी दक्षिणेन्द्रों की छह-छह अग्रमहिषियाँ जाननी चाहिए (५७)।
५८– जहा भूताणंदस्स तहा सव्वेसिं उत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्स।
जिस प्रकार भूतानन्द की छह अग्रमहिषियाँ कही गई हैं, उसी प्रकार भवनपति इन्द्र वेणुदालि, हरिस्सह, अग्निमानव, विशिष्ट, जलप्रभ, अमितवाहन, प्रभंजन और महाघोष, इन सभी उत्तरेन्द्रों की छह-छह अग्रमहिषियाँ जाननी चाहिए (५८)। सामानिक-सूत्र
५९- घरणस्स णं णागकुमाररिदस्स णागकुमाररण्णो छस्सामाणियसाहस्सीओ पण्णत्ताओ। नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के छह हजार सामानिक देव कहे गये है (५९)।
६०- एवं भूताणंदस्सवि जाव महाघोसस्स। ___ इसी प्रकार नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानन्द, वेणुदालि, हरिस्सह, अग्निमानव, विशिष्ट, जलप्रभ, अमितवाहन, प्रभंजन और महाघोष के भी भूतानन्द के समान छह-छह हजार सामानिक देव जानना चाहिए (६०)। मति-सूत्र
६१– छव्विहा ओग्गहमती पण्णत्ता, तं जहा–खिप्पमोगिण्हति, बहुमोगिण्हति, बहुविधमोगिण्हति, धुवमोगिण्हति, अणिस्सियमोगिण्हति, असंदिद्धमोगिण्हति ।
अवग्रहमति के छह भेद कहे गये हैं, जैसे