Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
३. अबुध और बुध— कोई पुरुष ज्ञान से अबुध होता है, किन्तु आचरण से बुध होता है। ४. अबुध और अबुध— कोई पुरुष ज्ञान से भी अबुध होता है और आचरण से भी अबुध होता है (५५६)।
५५७– चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–बुधे णाममेगे बुधहियए, बुधे णाममेगे अबुधहियए, अबुधे णाममेगे बुधहियए, अबुधे णाममेगे अबुधहियए।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. बुध और बुधहृदय— कोई पुरुष आचरण से बुध (सत्-क्रिया वाला) होता है और हृदय से भी बुध (विवेकशील) होता है।
२. बुध और अबुधहृदय— कोई पुरुष आचरण से बुध होता है, किन्तु हृदय से अबुध (अविवेकी) होता है। ३. अबुध और बुधहृदय- कोई पुरुष आचरण से अबुध होता है, किन्तु हृदय से बुध होता है।
४. अबुध और अबुधहृदय— कोई पुरुष आचरण से भी अबुध होता है और हृदय से भी अबुध होता है (५५७)। अनुकम्पक-सूत्र
५५८- वत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—आयाणुकंपए णाममेगे णो पराणुकंपए, पराणुकंपए णाममेगे णो आयाणुकंपए, एगे आयाणुकंपएवि पराणुकंपएवि, एगे णो आयाणुकंपए णो पराणुकंपए।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. आत्मानुकम्पक, न परानुकम्पक— कोई पुरुष अपनी आत्मा पर अनुकम्पा (दया) करता है, किन्तु दूसरे पर अनुकम्पा नहीं करता। (जिनकल्पी, प्रत्येकबुद्ध या निर्दय कोई अन्य पुरुष)
२. परानुकम्पक, न आत्मानुकम्पक— कोई पुरुष दूसरे पर तो अनुकम्पा करता है, किन्तु मेतार्य मुनि के समान अपने ऊपर अनुकम्पा नहीं करता।
३. आत्मानुकम्पक भी, परानुकम्पक भी— कोई पुरुष आत्मानुकम्पक भी होता है और परानुकम्पक भी होता है , (स्थविरकल्पी साधु)।
४. न आत्मानुकम्पक, न परानुकम्पक- कोई पुरुष न आत्मानुकम्पक ही होता है और न परानुकम्पक ही होता है। (कालशौकरिक के समान) (५५८)। संवास-सूत्र
५५९- चउविहे संवासे पण्णत्ते, तं जहा दिव्वे, आसुरे, रक्खसे, माणुसे। संवास (स्त्री-पुरुष का सहवास) चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. दिव्य-संवास, २. आसुर-संवास, ३. राक्षस-संवास, ४. मानुष-संवास (५५९)।
विवेचन- वैमानिक देवों के संवास को दिव्यसंवास कहते हैं। असुरकुमार भवनवासी देवों के संवास को आसुरसंवास कहते हैं। राक्षस व्यन्तर देवों के संवास को राक्षससंवास कहते हैं और मनुष्यों के संवास को