Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
४२५
चतुर्थ स्थान- चतुर्थ उद्देश
६३५- चउव्विहे मल्ले पण्णत्ते, तं जहागंथिमे. वेढिमे, पूरिमे, संघातिमे। माल्य (माला) चार प्रकार की कही गई हैं, जैसे१. ग्रन्थिममाल्य— सूत के धागे से गूंथ कर बनाई जाने वाली माला। २. वेष्टिममाल्य— चारों ओर फूलों को लपेट कर बनाई गई माला। ३. पूरिममाल्य— फूल भर कर बनाई जाने वाली माला। ४. संघातिममाल्य- एक फूल की नाल आदि से दूसरे फूल आदि को जोड़कर बनाई गई माला (६३५)।
६३६- चउव्विहे अलंकारे पण्णत्ते, तं जहा—केसालंकारे, वत्थालंकारे, मल्लालंकारे, आभरणालंकारे।
अलंकार चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. केशालंकार— शिर के बालों को सजाना। २. वस्त्रालंकार- सुन्दर वस्त्रों को धारण करना। ३. माल्यालंकार— मालाओं को धारण करना। ४. आभरणालंकार- सुवर्ण-रत्नादि के आभूषणों को धारण करना (६३६)।
६३७– चउब्विहे अभिणए पण्णत्ते, तं जहा—दिलृतिए, पाडिसुते, सामण्णओविणिवाइयं, लोगमज्झावसिते।
अभिनय (नाटक) चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. दार्टान्तिक– किसी घटना-विशेष का अभिनय करना। २. प्रातिश्रुत- रामायण, महाभारत आदि का अभिनय करना। ३. सामान्यतोविनिपातिक- राजा-मन्त्री आदि का अभिनय करना।
४. लोकमध्यावसित-मानवजीवन की विभिन्न अवस्थाओं का अभिनय करना (६३७)। विमान-सूत्र
६३८- सणंकुमार-माहिंदेसु णं कप्पेसु विमाणा चउवण्णा पण्णत्ता, तं जहा—णीला, लोहिता, हालिद्दा, सुक्किल्ला।
सनत्कुमार और माहेन्द्र कल्पों में विमान चार वर्ण वाले कहे गये हैं, जैसे१. नीलवर्ण वाले, २. लोहित (रक्त) वर्ण वाले,
३. हारिद्र (पीत) वर्ण वाले, ४. शुक्ल (श्वेत) वर्ण वाले (६३८)। देव-सूत्र
६३९- महासुक्क-सहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उक्कोसेणं चत्तारि रयणीओ उर्दू उच्चत्तेणं पण्णत्ता।
महाशुक्र और सहस्रार कल्पों में देवों के भवधारणीय (जन्म से मृत्यु तक रहने वाला मूल) शरीर उत्कृष्ट