Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पंचम स्थान—प्रथम उद्देश
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चाहिए । यों आगम में नारकी जीवों के शरीर अशुभ वर्ण और अशुभ रस वाले तथा देवों के शरीर शुभ वर्ण और रस वाले कहे गये हैं, यह व्यवहारनय का कथन है ।
२५–—–— पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा — ओरालिए, वेउव्विए, आहारए, तेयए, कम्मए ।
शरीर पांच प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. औदारिकशरीर, २. वैक्रियशरीर, ३. आहारकशरीर, ४. तैजसशरीर, ५. कार्मणशरीर (२५) ।
२६ — ओरालियसरीरे पंचवण्णे पंचरसे पण्णत्ते, तं जहा किण्हे, जाव (णीले, लोहिते, हालिदे), सुक्किल्ले । तित्ते, जाव (कडुए, कसाए, अंबिले), महुरे । २७ एवं जाव कम्मगसरीरे । [ वेउव्वियसरीरे पंचवण्णे पंचरसे पण्णत्ते, तं जहा किण्हे, णीले, लोहिते, हालिद्दे, सुक्किल्ले । तित्ते, कडुए, कसाए, अंबिले, महुरे । २८ – आहारयसरीरे पंचवण्णे पंचरसे पण्णत्ते, तं जहा— किण्हे, णी, लोहिते, हालिद्दे, सुक्किल्ले । तित्ते, कडुए, कसाए, अंबिले, महुरे । २९ – तेययसरीरे पंचवण्णे पंचरसे पण्णत्ते, तं जहा— किण्हे, णीले, लोहिते, हालिद्दे, सुक्किल्ले । तित्ते, कडुए, कसाए, अंबिले, महुरे । ३० – कम्मगसरीरे पंचवण्णे पंचरसे पण्णत्ते, तं जहा— किण्हे, णीले, लोहिते, हालिदे, सुकिल्ले । तित्ते, कडुए, कसाए, अंबिले, महुरे ।
औदारिक शरीर पांच वर्ण और पांच रस वाला कहा गया है, जैसे—
नील,
लोहित, हारिद्र और श्वेत वर्ण वाला ।
जैसे
१. कृष्ण, २. तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर रस वाला (२६) । वैक्रिय शरीर पांच वर्ण और पांच रस वाला कहा गया है, १. कृष्ण, नील, लोहित, हारिद्र और श्वेत वर्ण वाला । २. तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर रस वाला (२७)। आहारक शरीर पांच वर्ण और पांच रस वाला कहा गया है, जैसे— १. कृष्ण, नील, लोहित, हारिद्र और श्वेत वर्ण वाला।
२. तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर रस वाला (२८) । तैजस शरीर पांच वर्ण और पांच रस वाला कहा गया है, जैसे१. कृष्ण, नील, लोहित, हारिद्र और श्वेत वर्ण वाला। तिक्त, , कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर रस वाला (२९)। कार्मण शरीर पांच वर्ण और पांच रस वाला कहा गया है, जैसे— १. कृष्ण, नील, लोहित, हारिद्र और श्वेत वर्ण वाला।
२.
२. तिक्त, कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर रस वाला (३०) ।
३१ – सव्वेवि णं बादरबोंदिधरा कलेवरा पंचवण्णा पंचरसा दुगंधा अट्ठफासा ।
सभी बादर (स्थूल शरीर के धारक कलेवर पांच वर्ण, पांच रस, दो गन्ध और आठ स्पर्श वाले कहे गये हैं