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चतुर्थ स्थान-चतुर्थ उद्देश
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प्रतिभासित होता है।
४. गम्भीर और गम्भीरावभासी- कोई जल गहरा होता है और गहरा ही प्रतिभासित होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. उत्तान और उत्तानावभासी- कोई पुरुष उथला (तुच्छ) होता है और उसी प्रकार के तुच्छ कार्य करने से उथला ही प्रतिभासित होता है।
२. उत्तान और गम्भीरावभासी—कोई पुरुष उथला होता है, किन्तु गम्भीर जैसे दिखाऊ कार्य करने से गम्भीर प्रतिभासित होता है।
३. गम्भीर और उत्तानावभासी— कोई पुरुष गम्भीर होता है, किन्तु तुच्छ कार्य करने से उथला जैसा प्रतिभासित होता है।
४. गम्भीर और गम्भीरावभासी— कोई पुरुष गम्भीर होता है और तुच्छता प्रदर्शित न करने से गम्भीर ही प्रतिभासित होता है (५८५)।
५८६- चत्तारि उदही पण्णत्ता, तं जहा—उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदही, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोदही, गंभीरे णाममेगे गंभीरोदही।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए, उत्ताणे णाममेगे गंभीरहियए, गंभीरे णाममेगे उत्ताणहियए, गंभीरे णाममेगे गंभीरहियए।
समुद्र चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. उत्तान और उत्तानोदधि- कोई समुद्र पहले भी उथला होता है और बाद में भी उथला होता है क्योंकि अढ़ाई द्वीप से बाहर के समुद्रों में ज्वार नहीं आता।
२. उत्तान और गम्भीरोदधि— कोई समुद्र पहले तो उथला होता है, किन्तु बाद में ज्वार आने पर गहरा हो जाता है।
३. गम्भीर और उत्तानोदधि— कोई समुद्र पहले गहरा होता है, किन्तु बाद में ज्वार न रहने पर उथला हो जाता है।
४. गम्भीर और गम्भीरोदधि- कोई समुद्र पहले भी गहरा होता है और बाद में भी गहरा होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. उत्तान और उत्तानहृदय- कोई पुरुष अनुदार या उथला होता है और उसका हृदय भी अनुदार या उथला होता है।
२. उत्तान और गम्भीरहृदय- कोई पुरुष अनुदार या उथला होता है, किन्तु उसका हृदय गम्भीर या उदार होता है।
३. गम्भीर और उत्तानहृदय– कोई पुरुष गम्भीर किन्तु अनुदार या उथले हृदय वाला होता है। ४. गम्भीर और गम्भीरहृदय- कोई पुरुष गम्भीर और गम्भीरहृदय वाला होता है (५८६)। ५८७- चत्तारि उदही पण्णत्ता, तं जहा उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे