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चतुर्थ स्थान – चतुर्थ उद्देश
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१. कंकोपम- कंक पक्षी के आहार के समान सुगमता से खाने और पचने के योग्य आहार। २. बिलोपम— बिना चबाये निगला जाने वाला आहार। ३. पाण-मांसोपम– चण्डाल के मांस-सदृश घृणित आहार। ४. पुत्र-मांसोपम- पुत्र के मांस-सदृश निन्द्य और दुःख-भक्ष्य आहार (५११)। विवेचन- उक्त चारों प्रकार के आहार क्रम से शुभ, शुभतर, अशुभ और अशुभतर होते हैं। ५१२- मणुस्साणं चउव्विहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा—असणे, पाणे, खाइमे, साइमे।
मनुष्यों का आहार चार प्रकार का कहा गया है, जैसे। १. अशन, २. पान, ३. खाद्य, ४. स्वाद्य (५१२)।
५१३– देवाणं चउविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा—वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते। देवों का आहार चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. वर्णवान्– उत्तम वर्णवाला। २. गन्धवान्– उत्तम सुगन्धवाला। ३. रसवान्— उत्तम मधुर रसवाला। · ४. स्पर्शवान्— मृदु और स्निग्ध स्पर्शवाला आहार (५१३)। आशीविष-सूत्र
५१४- चत्तारि जातिआसीविसा पण्णत्ता, तं जहा–विच्छ्यजातिआसीविसे, मंडुक्कजातिआसीविसे, उरगजातिआसीविसे, मणुस्सजातिआसीविसे।
विच्छुयजातिआसीविसस्स णं भंते! केवइए विसए पण्णत्ते ? ।
पभू णं विच्छ्यजातिआसीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं करित्तए। विसए से विसट्ठताए, णो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा।
मंडुक्कजातिआसीविसस्स (णं भंते! केवइए विसए पण्णत्ते) ?
पभू णं मंडुक्कजातिआसीविसे 'भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं' (करित्तए। विसए से विसट्ठताए, णो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा) करिस्संति वा।
उरगजाति (आसीविसस्स णं भंते! केवइए विसए पण्णत्ते) ?
पभू णं उरगजातिआसीविसे जंबुद्दीवपमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणिं करित्तए। विसए से विसट्ठताए, णो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा।
मणुस्सजाति (आसीविसस्स णं भंते! केवइए विसए पण्णत्ते) ?
पभू णं मणुस्सजातिआसीविसे समयखेत्तपमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिणतं विसट्टमाणिं करेत्तए। विसए से विसट्ठताए, णो चेव णं (संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा) करिस्संति वा।