Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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४. एरण्ड और एरण्ड-पर्याय— कोई वृक्ष एरण्ड के समान छोटा और उसी के समान अल्प छाया वाला
होता है।
चतुर्थ स्थान
- चतुर्थ उद्देश
इसी प्रकर आचार्य भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. शाल और शाल - पर्याय कोई आचार्य शाल के समान उत्तम जाति वाले और उसी के समान धर्म वालेज्ञान, आचार और प्रभावशाली होते हैं।
२. शाल और एण्ड - पर्याय— कोई आचार्य शाल के समान उत्तम जाति वाले, किन्तु ज्ञान, आचार और प्रभाव से रहित होते हैं ।
३. एरण्ड और शाल - पर्याय— कोई आचार्य जाति से एरण्ड के समान हीन किन्तु ज्ञान, आचार और प्रभावशाली होने से शालपर्याय होते हैं ।
४. एरण्ड और एरण्ड-पर्याय— कोई आचार्य एरण्ड के समान हीन जाति वाले और उस के समान ज्ञान, आचार और प्रभाव से भी हीन होते हैं (५४२ ) ।
५४३ – चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा—साले णाममेगे सालपरिवारे, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे ।
एवमेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता, तं जहा साले णाममेगे सालपरिवारे, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे । संग्रहणी - गाथा
सालदुममज्झयारे, जह साले णाम होइ दुमराया । इय सुंदर आयरिए, सुंदरसीसे मुणेयव्वे ॥ १॥ एरंडमज्झयारे, जह साले णाम होइ दुमराया । इय सुंदरआयरिए, मंगुलसीसे मुणेयव्वे ॥ २॥ सालदुममज्झयारे एरंडे णाम होइ दुमराया । इय मंगलआयरिए, सुंदरसीसे मुणेयव्वे ॥ ३॥ एरंडमज्झयारे, एरंडे णाम होइ दुमराया । इस मंगलआयरिए, मंगुलसीसे मुणेयव्वे ॥ ४॥ पुनः वृक्ष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. शाल और शालपरिवार — कोई वृक्ष शाल जाति और शाल परिवार वाला होता है। २. शाल और एरण्डपरिवार — कोई वृक्ष शाल जाति किन्तु एरण्डपरिवार वाला होता है ।
३. एरण्ड और शालपरिवार — कोई वृक्ष जाति से एरण्ड किन्तु शालपरिवार वाला होता है।
४. एरण्ड और एरण्डपरिवार — कोई वृक्ष जाति से एरण्ड और एरण्डपरिवार वाला होता है ।
इसी प्रकार आचार्य भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. शाल और शालपरिवार — कोई आचार्य शाल के समान जातिमान् और शालपरिवार के समान उत्तम