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चतुर्थ स्थान– तृतीय उद्देश
४. अयुक्त और अयुक्त-परिणत— कोई पुरुष न तो गुणों से ही युक्त होता है और न योग्य परिणति वाला होता है (३७६)।
३७७- [चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे]।
पुनः युग्य चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तरूप— कोई युग्य युक्त और योग्य रूप वाला होता है। २. युक्त और अयुक्त रूप- कोई युग्य युक्त, किन्तु अयोग्य रूप वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्त रूप- कोई युग्य अयुक्त, किन्तु योग्य रूप वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त रूप- कोई युग्य अयुक्त और अयुक्त रूप वाला होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे— १. युक्त और युक्तरूप- कोई पुरुष युक्त और योग्य रूप वाला होता है। २. युक्त और अयुक्तरूप- कोई पुरुष युक्त, किन्तु अयोग्य रूप वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्तरूप- कोई पुरुष अयुक्त, किन्तु योग्य रूप वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तरूप- कोई पुरुष अयुक्त और अयोग्य रूप वाला होता है (३७७)।
३७८-[चत्तारि जुग्गा पण्णत्ता, तं जहा जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे]।
पुनः युग्य चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्त-शोभ— कोई युग्य युक्त और युक्त शोभा वाला होता है। २. युक्त और अयुक्त-शोभ- कोई युग्य युक्त, किन्तु अयुक्त शोभा वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्त-शोभ-कोई युग्य अयुक्त, किन्तु युक्त शोभा वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त-शोभ- कोई युग्य अयुक्त और अयुक्त शोभा वाला होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्त-शोभ- कोई पुरुष युक्त और युक्त शोभा वाला होता है। २. युक्त और अयुक्त-शोभ- कोई पुरुष युक्त, किन्तु अयुक्त शोभा वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्त-शोभ- कोई पुरुष अयुक्त, किन्तु युक्त शोभा वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त-शोभ- कोई पुरुष अयुक्त और अयुक्त शोभा वाला होता है (३७८)।