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- स्थानाङ्गसूत्रम्
३. [ओमरातिणिया समणी णिग्गंथी महाकम्मा महाकिरिया अणायावी असमिता धम्मस्स अणाराधिया भवति।
४.[ओमरातिणिया समणी णिग्गंथी अप्पकम्मा अप्पकिरिया आतावी समिता धम्मस्स आराहिया भवति।
निर्ग्रन्थियां चार प्रकार की कही गई हैं, जैसे
१. कोई रात्निक श्रमणी निर्ग्रन्थी, महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापिनी और असमित होने के कारण धर्म की अनाराधिका होती है।
२. कोई रात्निक श्रमणी निर्ग्रन्थी अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापिनी और समित होने के कारण धर्म की आराधिका होती है।
३. कोई अवमरात्निक श्रमणी निर्ग्रन्थी महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापिनी और असमित होने के कारण धर्म की अनाराधिका होती है।
४. कोई अवमरालिक श्रमणी निर्ग्रन्थी अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापिनी और समित होने के कारण धर्म की आराधिका होती है (४२७)। महाकर्म-अल्पकर्म-श्रमणोपासक-सूत्र
४२८– चत्तारि समणोवासगा पण्णत्ता, तं जहा
१. राइणिए समणोवासए महाकम्मे तहेव ४। [महाकिरिए अणायावी असमिते धम्मस्स अणाराधए भवति।
२. [ राइणिए समणोवासए अप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी समिए धम्मस्स आराहए भवति]।
३. [ ओमराइणिए समणोवासए महाकम्मे महाकिरिए अणातावी असमिते धम्मस्स अणाराहए भवति]।
४.[ओमराइणिए समणोवासए अप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी समिते धम्मस्स आराहए भवति । श्रमणोपासक चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. कोई रात्निक (दीर्घ श्रावकपर्यायवाला) श्रमणोपासक महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापी और असमित होने के कारण धर्म का अनाराधक होता है।
२. कोई रात्लिक श्रमणोपासक अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समित होने के कारण धर्म का आराधक होता है।
३. कोई अवमरानिक (अल्पकालिक श्रावकपर्यायवाला) श्रमणोपासक महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापी और असमित होने के कारण धर्म का अनाराधक होता है।
४. कोई अवमरालिक श्रमणोपासक अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समित होने के कारण धर्म का आराधक होता है (४२८)।