Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
चतुर्थ स्थान-तृतीय उद्देश
३६७ विवेचन- ह्रीसत्त्व और ह्रीमनःसत्त्व वाले पुरुषों में यह अन्तर है कि ह्रीसत्त्व व्यक्ति तो विकट परिस्थितियों में भय-ग्रस्त होने पर भी लज्जावश शरीर और मन दोनों में ही भय के चिह्न प्रकट नहीं होने देता। किन्तु जो ह्रीमनःसत्त्व व्यक्ति होता है वह मन में तो सत्त्व (हिम्मत) को बनाये रखता है, किन्तु उसके शरीर में भय के चिह्न रोमांच-कम्प आदि प्रकट हो जाते हैं। प्रतिमा-सूत्र
४८७- चत्तारि सेजपडिमाओ पण्णत्ताओ। चार शय्या-प्रतिमाएं (शय्या विषयक अभिग्रह या प्रतिज्ञाएं) कही गई हैं (४८७)। ४८८-चत्तारि वत्थपडिमाओ पण्णत्ताओ। चार वस्त्र-प्रतिमाएं (वस्त्र-विषयक-प्रतिज्ञाएं) कही गई हैं (४८८)। ४८९- चत्तारि पायपडिमाओ पण्णत्ताओ। चार पात्र-प्रतिमाएं (पात्र-विषयक-प्रतिमाएं) कही गई हैं (४८९)। ४९०- चत्तारि ठाणपडिमाओ पण्णत्ताओ। चार स्थान-प्रतिमाएं (स्थान-विषयक-प्रतिमाएं) कही गई हैं (४९०)।
विवेचन— मूल सूत्रों में उक्त प्रतिमाओं के चार-चार प्रकारों का उल्लेख नहीं किया गया है, पर आयारचूला के आधार पर संस्कृत टीकाकार ने चारों प्रतिमाओं के चारों प्रकारों का वर्णन इस प्रकार किया है
(१)शय्या-प्रतिमा के चार प्रकार
१. मेरे लिए उद्दिष्ट (नाम-निर्देश-पूर्वक संकल्पित) शय्या (काष्ठ-फलक आदि शयन करने की वस्तु) मिलेगी तो ग्रहण करूंगा, अन्य अनुद्दिष्ट शय्या को नहीं ग्रहण करूंगा। यह पहली शय्या-प्रतिमा है।
२. मेरे लिए उद्दिष्ट शय्या को यदि मैं देखूगा, तो उसे ही ग्रहण करूंगा, अन्य अनुद्दिष्ट और अदृष्ट को नहीं ग्रहण करूंगा। यह दूसरी शय्याप्रतिमा है।
३. मेरे लिए उद्दिष्ट शय्या यदि शय्यातर के घर में होगी तो उसे ही ग्रहण करूंगा, अन्यथा नहीं। यह तीसरी शय्याप्रतिमा है।
४. मेरे लिए उद्दिष्ट शय्या यदि यथासंसृत (सहज बिछी हुई) मिलेगी तो उसे ग्रहण करूंगा, अन्यथा नहीं। यह चौथी शय्याप्रतिमा है।
(२) वस्त्र-प्रतिमा के चार प्रकार
१. मेरे लिए उद्दिष्ट और 'यह कपास-निर्मित है, या ऊन-निर्मित है' इस प्रकार से घोषित वस्त्र की ही मैं याचना करूंगा, अन्य की नहीं। यह पहली वस्त्र-प्रतिमा है।
२. मेरे लिए उद्दिष्ट और सूती-ऊनी आदि नाम से घोषित वस्त्र यदि देखूगा, तो उसकी ही याचना करूंगा, अन्य की नहीं। यह दूसरी वस्त्रप्रतिमा है।
३. मेरे लिए उद्दिष्ट और घोषित वस्त्र यदि शय्यातर के द्वारा उपभुक्त–उपयोग में लाया हुआ हो तो उसकी