Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान– तृतीय उद्देश
३३७ पुनः अन्तेवासी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. उद्देशनान्तेवासी, न वाचनान्तेवासी— कोई शिष्य उद्देशना की अपेक्षा से अन्तेवासी होता है, किन्तु वाचना की अपेक्षा से अन्तेवासी नहीं होता।
२. वाचनान्तेवासी, न उद्देशनान्तेवासी— कोई शिष्य वाचना की अपेक्षा से अन्तेवासी होता है, किन्तु उद्देशना की अपेक्षा से अन्तेवासी नहीं होता।
३. उद्देशनान्तेवासी, वाचनान्तेवासी— कोई शिष्य उद्देशना की अपेक्षा से भी अन्तेवासी होता है और वाचना की अपेक्षा से भी अन्तेवासी होता है।
४.न उद्देशनान्तेवासी, न वाचनान्तेवासी—कोई शिष्य न उद्देशन से ही अन्तेवासी होता है और न वाचना की अपेक्षा से ही अन्तेवासी होता है। मात्र धर्म प्रतिबोध पाने की अपेक्षा से अन्तेवासी होता है (४२५)। महत्कर्म-अल्पकर्म-निर्ग्रन्थ-सूत्र
४२६-चत्तारि णिग्गंथा पण्णत्ता, तं जहा१. रातिणिए समणे णिग्गंथे महाकम्मे महाकिरिए अणायावी असमिते धम्मस्स अणाराधए भवति। २. रातिणिए समणे णिग्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी समिए धम्मस्स आराहए भवति।
३. ओमरातिणिए समणे णिग्गंथे महाकम्मे महाकिरिए अणातावी असमिते धम्मस्स अणाहारए भवति।
४. ओमरातिणिए समणे णिग्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी समिते धम्मस्स आराहए भवति। निर्ग्रन्थ चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. कोई श्रमण निर्ग्रन्थ रात्निक (दीक्षापर्याय में ज्येष्ठ) होकर भी महाकर्मा महाक्रिय (महाक्रियावाला) अनातापी (अतपस्वी) और अक्षमित (समिति-रहित) होने के कारण धर्म का अनाराधक होता है।
२. कोई रात्निक श्रमण निर्ग्रन्थ अल्पकर्मा, अल्पक्रिय (अल्पक्रियावाला), आतापी (तपस्वी) और समित (समितिवाला) होने के कारण धर्म का आराधक होता है।
३. कोई निर्ग्रन्थ श्रमण अवमरालिक (दीक्षापर्याय में छोटा) होकर महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापी और असमित होने के कारण धर्म का अनाराधक होता है।
४. कोई अवमरालिक श्रमण निर्ग्रन्थ अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समित होने के कारण धर्म का आराधक होता है (४२६)। महाकर्म-अल्पकर्म-निर्ग्रन्थी-सूत्र __ ४२७- चत्तारि णिग्गंथीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
१. रातिणिया समणी णिग्गंथी एवं चेव ४। [महाकम्मा महाकिरिया अणायावी असमिता धम्मस्स अणाराधिया भवति]।
२. [रातिणिया समणी णिग्गंथी अप्पकम्मा अप्पकिरिया आतावी समिता धम्मस्स आराहिया भवति]