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स्थानाङ्गसूत्रम्
४. अर्हन्तों के परिनिर्वाणकल्याण की महिमा के अवसर पर। इन चार कारणों से देवेन्द्र तत्काल मनुष्यलोक में आते हैं (४४२)।
४४३- एवं सामाणिया, तायत्तीसगा, लोगपाला देवा, अग्गमहिसीओ देवीओ, परिसोववण्णगा देवा, अणियाहिवई देवा, आयरक्खा देवा माणुसं लोगं हव्वमागच्छति, तं जहा–अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, अरहंताणं परिणिव्वाणमहिमासु।
इसी प्रकार सामानिक, त्रायत्रिंशत्क, लोकपाल देव, उनकी अग्रमहिषियाँ, पारिषद्यदेव, अनीकाधिपति (सेनापति), देव और आत्मरक्षक देव, उक्त चार कारणों से तत्काल मनुष्यलोक में आते हैं, जैसे
१. अर्हन्तों के उत्पन्न होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न होने की महिमा के अवसर पर, ४. अर्हन्तों के परिनिर्वाणकल्याण की महिमा के अवसर पर। इन चार कारणों से उपर्युक्त सर्व देव तत्काल मनुष्यलोक में आते हैं (४४३)।
४४४- चउहि ठाणेहिं देवा अब्भुट्ठिज्जा, तं जहा–अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, अरहंताणं परिणिव्वाणमहिमासु।
चार कारणों से देव अपने सिंहासन से उठते हैं, जैसे१. अर्हन्तों के उत्पन्न होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न होने की महिमा के अवसर पर, ४. अर्हन्तों के परिनिर्वाणकल्याण की महिमा के अवसर पर। इन चार कारणों से देव अपने सिंहासन से उठते हैं (४४४)।
४४५– चउहि ठाणेहिं देवाणं आसणाइं चलेजा, तं जहा—अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, अरहंताणं परिणिव्वाणमहिमासु।
चार कारणों से देवों के आसन चलायमान होते हैं, जैसे१. अर्हन्तों के उत्पन्न होने पर, २. अर्हन्तों के प्रव्रजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों के केवलज्ञान उत्पन्न होने की महिमा के अवसर पर, ४. अर्हन्तों के परिनिर्वाणकल्याण की महिमा के अवसर पर। इन चार कारणों से देवों के आसन चलायमान होते हैं (४४५)।
४४६- चउहि ठाणेहिं देवा सीहणायं करेजा, तं जहा—अरहंतेहिं जायमाणेहिं, अरहंतेहिं पव्वयमाणेहिं, अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु, अरहंताणं परिणिव्वाणमहिमासु।