Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान-ततीय उद्देश
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४. अयुक्त और अयुक्त- कोई हाथी अयुक्त होकर अयुक्त ही होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्त- कोई पुरुष युक्त होकर युक्त ही होता है। २. युक्त और अयुक्त- कोई पुरुष युक्त होकर भी अयुक्त होता है। ३. अयुक्त और युक्त– कोई पुरुष अयुक्त होकर भी युक्त होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त– कोई पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त ही होता है (३८४)।
३८५- [चत्तारि गया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, जुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तपरिणते]।
पुनः हाथी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्त-परिणत- कोई हाथी युक्त होकर युक्त-परिणत होता है। २. युक्त और अयुक्त-परिणत — कोई हाथी युक्त होकर भी अयुक्त-परिणत होता है। ३. अयुक्त और युक्त-परिणत- कोई हाथी अयुक्त होकर भी युक्त-परिणत होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त-परिणत- कोई हाथी अयुक्त होकर भी अयुक्त-परिणत होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्त-परिणत- कोई पुरुष युक्त होकर युक्त-परिणत होता है। २. युक्त और अयुक्त-परिणत- कोई पुरुष युक्त होकर भी अयुक्त-परिणत होता है। ३. अयुक्त और युक्त-परिणत- कोई पुरुष अयुक्त होकर भी युक्त-परिणत होता है। ४. अयुक्त और अयुक्त-परिणत- कोई पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त-परिणत होता है (३८५)।
३८६—[चत्तारि गया पण्णत्ता, तं जहा—जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे]।
पुनः हाथी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तरूप- कोई हाथी युक्त होकर युक्तरूप वाला होता है। २. युक्त और अयुक्तरूप- कोई हाथी युक्त होकर भी अयुक्तरूप वाला होता है। ३. अयुक्त और युक्तरूप- कोई हाथी अयुक्त होकर भी युक्तरूप वाला होता है। ४. अयुक्त और अयुक्तरूप— कोई हाथी अयुक्त होकर भी अयुक्तरूप वाला होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. युक्त और युक्तरूप— कोई पुरुष युक्त होकर युक्तरूप वाला होता है।