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स्थानाङ्गसूत्रम्
१. कोई पुरुष शरीर से शुचि (पवित्र) और शुचि रूपवाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि रूपवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु शुचि रूपवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से अशुचि और अशुचि रूपवाला होता है (४७)।
४८–चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—सुई णाम एगे सुइमणे, सुई णाम एगे असुइमणे, असुई णाम एगे सुइमणे, असुई णामं एगे असुइमणे।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष शरीर से शुचि और मन से भी शुचि होता है। २. कोई पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि मनवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु शुचि मनवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से अशुचि और अशुचि मनवाला होता है (४८)।
४९- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—सुई णामं एगे सुइसंकप्पे, सुई णामं एगे असुइसंकप्पे, असुई णाम एगे सुइसंकप्पे, असुई णामं एगे असुइसंकप्पे।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष शरीर से शुचि और शुचि संकल्प वाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि संकल्प वाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु शुचि संकल्प वाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से अशुचि और अशुचि संकल्प वाला होता है (४९)।
५०- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—सुई णाम एगे सुइपण्णे, सुई णामं एगे असुइपण्णे, असुई णाम एगे सुइपण्णे, असुई णाम एगे असुइपण्णे।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष शरीर से शुचि और प्रज्ञा से भी शुचि होता है। २. कोई पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि प्रज्ञावाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु शुचि प्रज्ञावाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से अशुचि और अशुचि प्रज्ञावाला होता है (५०)।
५१- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—सुई णामं एगे सुइदिट्ठी, सुई णाम एगे असुइट्ठिी, असुई णामं एगे सुइदिट्ठी, असुई णाम एगे असुइदिट्ठी।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष शरीर से शुचि और शुचि दृष्टि वाला होता है।
२. कोई पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु अशुचि दृष्टि वाला होता है। . ३. कोई पुरुष शरीर से अशुचि, किन्तु शुचि दृष्टि वाला होता है।