Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
स्थानाङ्गसूत्रम्
२१८ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— अज्जे णाममेगे अज्जसीलाचारे, अज्जे णाममेगे अणज्जसीलाचारे, अणजे णाममेगे अज्जसीलाचारे, अणज्जे णाममेगे अणज्जसीलाचारे ।
२५८
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. आर्य और आर्यशीलाचार — कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य शील- आचारवाला होता है। २. आर्य और अनार्यशीलाचार — कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य शील- आचारवाला होता है। ३. अनार्य और आर्यशीलाचार — कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य शील- आचारवाला होता है। ४. अनार्य और अनार्यशीलाचार — कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य शील- आचारवाला होता है।
(२१८) ।
२१९ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा अजे णाममेगे अज्जववहारे, अज्जे णाममेगे अणज्जववहारे, अणज्जे णाममेगे अज्जववहारे, अणजे णाममेगे अणज्जववहारे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. आर्य और आर्यव्यवहार — कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य व्यवहारवाला होता है।
२. आर्य और अनार्यव्यवहार — कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य व्यवहारवाला होता है। ३. अनार्य और आर्यव्यवहार — कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य व्यवहारवाला होता है। ४. अनार्य और अनार्यव्यवहार — कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य व्यवहारवाला होता है (२१९)।
२२० – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— अज्जे णाममेगे अज्जपरक्कमे, अज्जे णाममेगे अणज्जपरक्कमे, अणजे णाममेगे अज्जपरक्कमे, अणजे णाममेगे अणजपरक्कमे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—–
१. आर्य और आर्यपराक्रम- कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य पराक्रमवाला होता है।
३.
२. आर्य और अनार्यपराक्रम — कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य पराक्रमवाला होता है। . अनार्य और आर्यपराक्रम — कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य पराक्रमवाला होता है। ४. अनार्य और अनार्यपराक्रम — कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य पराक्रमवाला होता है (२२०) । २२१ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा अज्जे णाममेगे अज्जवित्ती, अज्जे णाममेगे अजवित्ती अणजे णाममेगे अज्जवित्ती, अणजे णाममेगे अणज्जवित्ती ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. आर्य और आर्यवृत्ति— कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य वृत्तिवाला होता है।
२. आर्य और अनार्यवृत्ति—— कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य वृत्तिवाला होता है। ३. अनार्य और आर्यवृत्ति — कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य वृत्तिवाला होता है।
४. अनार्य और अनार्यवृत्ति— कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य वृत्तिवाला होता है (२२१) ।
२२२ – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— अज्जे णाममेगे अज्जजाती, अज्जे णाममेगे अणज्जजाती, अणजे णाममेगे अज्जजाती, अणजे णाममेगे अणज्जजाती ।