Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
सीहमुहा, वग्घमुहा]।
उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर छह-छह सौ योजन जाने पर चार अन्तर्वीप कहे गये हैं, जैसे
१. अश्वमुख द्वीप, २. हस्तिमुख द्वीप, ३. सिंहमुख द्वीप, ४. व्याघ्रमुख द्वीप। उन द्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं, जैसे- . १. अश्वमुख, २. हस्तिमुख, ३. सिंहमुख, ४. व्याघ्रमुख (३२४)।
३२५– तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुहं सत्त-सत्त जोयणसयाई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा—आसकण्णदीवे, हत्थिकण्णदीवे, अकण्णदीवे, कण्णपाउरणदीवे।
तेसु णं दीवेसु चउव्विहा मणुस्सा भाणियव्वा [ परिवसंति, तं जहा—आसकण्णा, हत्थिकण्णा, अकण्णा, कण्णपाउरणा]।
उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर सात-सात सौ योजन जाने पर चार अन्तर्वीप कहे गये हैं, जैसे
१. अश्वकर्ण द्वीप, २. हस्तिकर्ण द्वीप, ३. अकर्ण द्वीप, ४. कर्णप्रावरण द्वीप। . उन द्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं, जैसे१. अश्वकर्ण, २. हस्तिकर्ण, ३. अकर्ण, ४. कर्णप्रावरण (३२५)।
३२६- तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं अट्ठ? जोयणसयाई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा—उक्कामुहदीवे, मेहमुहदीवे, विज्जुमुहदीवे, विज्जुदन्तदीवे।
तेसु णं दीवेसु चउव्विहा मणुस्सा भाणियव्वा। [ परिवसंति, तं जहा—उक्कामुहा, मेहमुहा, विजुमुहा, विजुदंता]।
उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर आठ-आठ सौ योजन जाने पर चार अन्तर्वीप कहे गये हैं, जैसे
१. उल्कामुग्त्र द्वीप, २. मेघमुख द्वीप, ३. विद्युन्मुख द्वीप, ४. विद्युद्दन्त द्वीप। उन द्वीपों पर चार प्रकार के मनुष्य रहते हैं, जैसे१. उल्कामुख, २. मेघमुख, ३. विद्युन्मुख, ४. विद्युद्दन्त (३२६)।
३२७- तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं णव-णव जोयणसयाई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पण्णत्ता, तं जहा—घणदंतदीवे, लट्ठदंतदीवे, गूढदंतदीवे, सुद्धदंतदीवे।
तेसु णं दीवेसु चउव्विहा मणुस्सा परिवसंति, तं जहा—घणदंता, लट्ठदंता, गूढदंता, सुद्धदंता।
उन द्वीपों की चारों विदिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर नौ-नौ सौ योजन जाने पर चार अन्तर्वीप कहे गये हैं, जैसे -