Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान द्वितीय उद्देश
२६३
१. कोई बैल कुलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं होता। २. कोई बैल रूपसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। ३. कोई बैल कुलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी होता है। ४. कोई बैल न कुलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न ही होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं होता। २. कोई पुरुष रूपसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। ३. कोई पुरुष कुलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी होता है।
४. कोई पुरुष न कुलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न होता है (२३४)। बल-सूत्र
२३५- चत्तारि उसभा पण्णत्ता, तं जहा—बलसंपण्णे णामं एगे णो रूवसंपण्णे, रूवसंपण्णे णामं एगे णो बलसंपण्णे, एगे बलसंपण्णेवि रूवसंपण्णेवि, एगे णो बलसंपण्णे णो रूवसंपण्णे।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–बलसंपण्णे णाममेगे णो रूवसंपण्णे, रूवसंपण्णे णाममेगे णो बलसंपण्णे, एगे बलसंपण्णेवि रूवसंपण्णेवि, एगे णो बलसंपण्णे णो रूवसंपण्णे।
पुनः वृषभ चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई बैल बलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं होता। २. कोई बैल रूपसम्पन्न होता है, किन्तु बलसम्पन्न नहीं होता। ३. कोई बैल बलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी होता है। ४. कोई बैल न बलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न ही होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष बलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं होता। २. कोई पुरुष रूपसम्पन्न होता है, किन्तु बलसम्पन्न नहीं होता। ३. कोई पुरुष बलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी होता है।
४. कोई पुरुष न बलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न होता है (२३५)। हस्ति-सूत्र
२३६- चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहा भद्दे, मंदे, मिए, संकिण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा भद्दे, मंदे, मिए, संकिण्णे। हाथी चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. भद्र-धैर्य, वीर्य, वेग आदि गुण वाला। २. मन्द- धैर्य आदि गुणों की मन्दता वाला।