Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान- द्वितीय उद्देश
२७९
२. वाम और दक्षिणावर्त— कोई शंख वाम और दक्षिणावर्त (दाईं ओर घुमाव वाला) होता है।
३. दक्षिण और वामावर्त-कोई शंख दक्षिण (दाहिने पार्श्व में स्थित या अनुकूल गुण वाला) और वामावर्त होता है।
४. दक्षिण और दक्षिणावर्त— कोई शंख दक्षिण और दक्षिणावर्त होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे
१. वाम और वामावर्त— कोई पुरुष वाम (स्वभाव से प्रतिकूल) और वामावर्त (प्रवृत्ति से) भी प्रतिकूल होता है।
२. वाम और दक्षिणावर्त— कोई पुरुष वाम, किन्तु दक्षिणावर्त (अनुकूल प्रवृत्ति वाला) होता है।
३. दक्षिण और वामावर्त— कोई पुरुष दक्षिण (स्वभाव से अनुकूल) किन्तु वामावर्त होता है। ___४. दक्षिण और दक्षिणावर्त— कोई पुरुष दक्षिण (स्वभाव से भी अनुकूल) और दक्षिणावर्त (अनुकूल प्रवृत्ति वाला) होता है (२६९)।
२७०- चत्तारि धूमसिहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा–वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता।
एवामेव चत्तारि इत्थीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता।
धूम-शिखाएं चार प्रकार की कही गई हैं। जैसे१. वामा और वामावर्ता- कोई धूम-शिखा वाम और वामावर्त होती है। २. वामा और दक्षिणावर्ता- कोई धूम-शिखा वाम, किन्तु दक्षिणावर्त होती है। ३. दक्षिणा और वामावर्ता- कोई धूम-शिखा दक्षिण, किन्तु वामावर्त होती है। ४. दक्षिण और दक्षिणावर्ता— कोई धूम-शिखा दक्षिण और दक्षिणावर्त होती है। इसी प्रकार चार प्रकार की स्त्रियां कही गई हैं, जैसे१. वामा और वामावर्ता- कोई स्त्री वाम और वामावर्त होती है। २. वामा और दक्षिणावर्ता— कोई स्त्री वाम, किन्तु दक्षिणावर्त होती है। ३. दक्षिणा और वामावर्ता— कोई स्त्री दक्षिण किन्तु वामावर्त होती है। ४. दक्षिणा और दक्षिणावर्ती— कोई स्त्री दक्षिण और दक्षिणावर्त होती है (२७०)।
२७१– चत्तारि अग्गिसिहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा–वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेंगा दाहिणावत्ता।
एवामेव चत्तारि इत्थीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—वामा णाममेगा वामावत्ता, वामा णाममेगा दाहिणावत्ता, दाहिणा णाममेगा वामावत्ता, दाहिणा णाममेगा दाहिणावत्ता।
अग्नि-शिखाएं चार प्रकार की कही गई हैं, जैसे१. वामा और वामावर्ता- कोई अग्नि-शिखा वाम और वामावर्त होती है। २. वामा और दक्षिणावर्ता- कोई अग्नि-शिखा वाम, किन्तु दक्षिणावर्त होती है। ३. दक्षिणा और वामावर्ता- कोई अग्नि-शिखा दक्षिण, किन्तु वामावर्त होती है।