Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान — द्वितीय उद्देश
२८५
३. दारुस्तम्भ – काठ का खम्भा। ४. तिनिशलतास्तम्भ- वेंत का स्तम्भ। इसी प्रकार मान भी चार प्रकार का कहा गया है। जैसे१. शैलस्तम्भ समान–पत्थर के खम्भे के समान अत्यन्त कठोर अनन्तानुबन्धी मान। २. अस्थिस्तम्भ समान— हाड़ के खम्भे के समान कठोर अप्रत्याख्यानावरण मान। ३. दारुस्तम्भ समान— काठ के खम्भे के समान अल्प कठोर प्रत्याख्यानावरण मान। ४. तिनिशलतास्तम्भ समान वेंत के खम्भे के समान स्वल्प कठोर संज्वलन मान। १. शैलस्तम्भ के समान मान में प्रवर्तमान जीव काल करता है तो नारकियों में उत्पन्न होता है। २. अस्थिस्तम्भ के समान मान में प्रवर्तमान जीव काल करता है तो तिर्यग्योनिकों में उत्पन्न होता है। ३. दारुस्तम्भ के समान मान में प्रवर्तमान जीव काल करता है तो मनुष्यों में उत्पन्न होता है।
४. तिनिशलतास्तम्भ के समान मान में प्रवर्तमान जीव काल करता है तो देवों में उत्पन्न होता है (२८३)। लोभ-सूत्र
२८४- चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा—किमिरागरत्ते, कद्दमरागरत्ते, खंजणरागरत्ते, हलिद्दरागरत्ते।
एवामेव चउव्विधे लोभे पण्णत्ते, तं जहा किमिरागरत्तवत्थसमाणे, कद्दमरागरत्तवत्थसमाणे, खंजणरागरत्तवत्थसमाणे, हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणे।
१. किमिरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ, णेरइएसु उववज्जइ।
२. तहेव जाव [कद्दमरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ, तिरिक्खजोणिएसु उववज्जइ।
३. खंजणरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ, मणुस्सेसु उववजइ।] ४. हलिद्दरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविटे जीवे कालं करेइ, देवेसु उववज्जइ। वस्त्र चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कृमिरागरक्त- कृमियों के रक्त से या किर्मिजी रंग से रंगा हुआ वस्त्र। २. कर्दमरागरक्त-कीचड़ से रंगा हुआ वस्त्र। ३. खञ्जनरागरक्त– काजल के रंग से रंगा हुआ वस्त्र। ४. हरिद्रारागरक्त- हल्दी के रंग से रंगा हुआ वस्त्र। इसी प्रकार लोभ भी चार प्रकार का कहा गया है, जैसे१. कृमिरागरक्त वस्त्र के समान अत्यन्त कठिनाई से छूटने वाला अनन्तानुबन्धी लोभ । २. कर्दमरागरक्त वस्त्र के समान कठिनाई से छूटने वाला अप्रत्याख्यानावरण लोभ। ३. खञ्जनरागरक्त वस्त्र के समान स्वल्प कठिनाई से छूटने वाला प्रत्याख्यानावरण लोभ। ४. हरिद्रारागरक्त वस्त्र के समान सरलता से छूटने वाला संज्वलन लोभ। १. कृमिरागरक्त वस्त्र के समान लोभ में प्रवर्तमान जीव काल कर नारकों में उत्पन्न होता है।