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चतुर्थ स्थान- द्वितीय उद्देश
२५९ पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यजाति- कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य जातिवाला (सगुण मातृपक्षवाला) होता है। २. आर्य और अनार्यजाति— कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य जाति (मातृपक्ष) वाला होता है। ३. अनार्य और आर्यजाति- कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य जाति (मातृपक्ष) वाला होता है।
४. अनार्य और अनार्यजाति- कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य जाति (मातृपक्ष) वाला होता है (२२२)।
२२३- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अजे णाममेगे अजभासी, अज्जे णाममेगे अणजभासी, अणजे णाममेगे अजभासी, अणजे णाममेगे अणजभासी।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यभाषी— कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यभाषा बोलनेवाला होता है। २. आर्य और अनार्यभाषी-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यभाषा बोलनेवाला होता है। ३. अनार्य और आर्यभाषी—कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यभाषा बोलनेवाला होता है। ४. अनार्य और अनार्यभाषी कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यभाषा बोलनेवाला होता है (२२३)।
२२४–चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा अजे णाममेगे अजओभासी, अजे णाममेगे अणजओभासी, अणजे णाममेगे अजओभासी, अणजे णाममेगे अणजओभासी।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यावभासी— कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य के समान दिखता है। २. आर्य और अनार्यावभासी- कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य के समान दिखता है। ३. अनार्य और आर्यावभासी- कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य के समान दिखता है। ४. अनार्य और अनार्यावभासी-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य के समान दिखता है (२२४)।
२२५–चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा अजे णाममेगे अजसेवी, अजे णाममेगे अणजसेवी, अणजे णाममेगे अजसेवी, अणजे णाममेगे अणजसेवी।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यसेवी- कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यपुरुष की सेवा करता है। २. आर्य और अनार्यसेवी— कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यपुरुष की सेवा करता है। ३. अनार्य और आर्यसेवी- कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यपुरुष की सेवा करता है। ४. अनार्य और अनार्यसेवी— कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यपुरुष की सेवा करता है (२२५)।
२२६- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अजे णाममेगे अजपरियाए, अजे णाममेगे अणजपरियाए, अणजे णाममेगे अजपरियाए, अणजे णाममेगे अणजपरियाए।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे— १. आर्य और आर्यपर्याय— कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यपर्याय वाला होता है।