Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
३. उच्चत्व- भृतक — नियत कार्य का ठेका लेकर कार्य करने वाला ।
४. कब्बाड - भृतक — नियत भूमि आदि खोदकर पारिश्रमिक लेने वाला । जैसे ओड आदि (१४७)।
प्रतिसेवि - सूत्र
१४८ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा संपागडपडिसेवी णामेगे णो पच्छण्णपडिसेवी, पच्छण्णपडिसेवी णामेगे णो संपागडपडिसेवी, एगे संपागडपडिसेवी वि पच्छण्णपडिसेवी वि, एगे ण संपागडपडिसेवी णो पच्छण्णपडिसेवी ।
दोष- प्रतिसेवी पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष सम्प्रकट-प्रतिसेवी — प्रकट रूप से दोष सेवन करने वाला होता है, किन्तु प्रच्छन्न- प्रतिसेवी —— रूप से दोषसेवी नहीं होता।
२. कोई पुरुष प्रच्छन्न - प्रतिसेवी होता है, किन्तु सम्प्रकट - प्रतिसेवी नहीं होता ।
३. कोई पुरुष सम्प्रकट - प्रतिसेवी भी होता है और प्रच्छन्न - प्रतिसेवी भी होता है।
४. कोई पुरुष न सम्प्रकट- प्रतिसेवी होता है और न प्रच्छन्न - प्रतिसेवी ही होता है (१४८) ।
अग्रमहिषी-सूत्र
१४९ - चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा ।
असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर के लोकपाल सोम महाराज की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. कनका, २. कनकलता, ३. चित्रगुप्ता, ४. वसुन्धरा (१४९ ) ।
१५० एवं जमस्स वरुणस्स वेसमणस्स ।
इसी प्रकार यम, वरुण और वैश्रमण लोकपालों की भी चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५० ) । १५१ - बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा — मितगा, सुभद्दा, विज्जुता, असणी ।
वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बलि के लोकपाल सोम महाराज की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे— १. मितका, २. सुभद्रा, ३. विद्युत, ४. अशनि (१५१) ।
१५२ - एवं जमस्स वेसमणस्स वरुणस्स ।
इसी प्रकार यम, वैश्रमण और वरुण लोकपालों की भी चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५२) ।
१५३—– धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णी कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा असोगा, विमला, सुप्पभा, सुदंसणा ।
नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल महाराज कालपाल की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे—१. अशोका, २. विमला, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना (१५३) ।