Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान- प्रथम उद्देश
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१५४- एवं जाव संखवालस्स। इसी प्रकार शंखपाल तक के शेष लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५४)।
१५५ – भूताणंदस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा—सुणंदा, सुभद्दा, सुजाता, सुमणा।।
नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र भूतानन्द के लोकपाल महाराज कालपाल की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे
१. सुनन्दा, २. सुभद्रा, ३. सुजाता, ४. सुमना (१५५)। १५६– एवं जाव सेलवालस्स। इसी प्रकार सेलपाल तक के शेष लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५६)। १५७– जहा धरणस्स एवं सव्वेसिं दाहिणिंदलोगपालाणं जाव घोसस्स।
जैसे धरण के लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, उसी प्रकार सभी दक्षिणेन्द्र—वेणुदेव, हरिकान्त, अग्निशिख, पूर्ण, जलकान्त, अमितगति, वेलम्ब और घोष के लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे
१. अशोका, २. विमला, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना (१५७)। १५८– जहा भूताणंदस्स एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं।
जैसे भूतानन्द के लोकपालों की चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, उसी प्रकार शेष सभी उत्तर दिशा के इन्द्र वेणुदालि, अग्निमाणव, विशिष्ट, जलप्रभ, अमितवाहन, प्रभंजन और महाघोष के लोकपालों की चार-चार अग्रमहिपियां कही गई हैं। जैसे
१. सुनन्दा, २. सुप्रभा, ३. सुजाता, ४. सुमना (१५८)।
१५९- कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहाकमला, कमलप्पभा, उप्पला, सुदंसणा।
पिशाचराज पिशाचेन्द्र काल की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. कमला, २. कमलप्रभा, ३. उत्पला, ४. सुदर्शना (१५९)। १६०- एवं महाकालस्सवि। इसी प्रकार महाकाल की भी चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१६०)।
१६१- सुरूवस्स णं भूतिंदस्स भूतरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहारूपवती, बहुरूवा, सुरूवा, सुभगा।
भूतराज भूतेन्द्र सुरूप की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१.रूपवती, २. बहुरूपा, ३. सुरूपा, ४. सुभगा (१६१)।