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________________ २४४ स्थानाङ्गसूत्रम् ३. उच्चत्व- भृतक — नियत कार्य का ठेका लेकर कार्य करने वाला । ४. कब्बाड - भृतक — नियत भूमि आदि खोदकर पारिश्रमिक लेने वाला । जैसे ओड आदि (१४७)। प्रतिसेवि - सूत्र १४८ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा संपागडपडिसेवी णामेगे णो पच्छण्णपडिसेवी, पच्छण्णपडिसेवी णामेगे णो संपागडपडिसेवी, एगे संपागडपडिसेवी वि पच्छण्णपडिसेवी वि, एगे ण संपागडपडिसेवी णो पच्छण्णपडिसेवी । दोष- प्रतिसेवी पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे— १. कोई पुरुष सम्प्रकट-प्रतिसेवी — प्रकट रूप से दोष सेवन करने वाला होता है, किन्तु प्रच्छन्न- प्रतिसेवी —— रूप से दोषसेवी नहीं होता। २. कोई पुरुष प्रच्छन्न - प्रतिसेवी होता है, किन्तु सम्प्रकट - प्रतिसेवी नहीं होता । ३. कोई पुरुष सम्प्रकट - प्रतिसेवी भी होता है और प्रच्छन्न - प्रतिसेवी भी होता है। ४. कोई पुरुष न सम्प्रकट- प्रतिसेवी होता है और न प्रच्छन्न - प्रतिसेवी ही होता है (१४८) । अग्रमहिषी-सूत्र १४९ - चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा । असुरकुमारराज असुरेन्द्र चमर के लोकपाल सोम महाराज की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे१. कनका, २. कनकलता, ३. चित्रगुप्ता, ४. वसुन्धरा (१४९ ) । १५० एवं जमस्स वरुणस्स वेसमणस्स । इसी प्रकार यम, वरुण और वैश्रमण लोकपालों की भी चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५० ) । १५१ - बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा — मितगा, सुभद्दा, विज्जुता, असणी । वैरोचनराज वैरोचनेन्द्र बलि के लोकपाल सोम महाराज की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं, जैसे— १. मितका, २. सुभद्रा, ३. विद्युत, ४. अशनि (१५१) । १५२ - एवं जमस्स वेसमणस्स वरुणस्स । इसी प्रकार यम, वैश्रमण और वरुण लोकपालों की भी चार-चार अग्रमहिषियां कही गई हैं (१५२) । १५३—– धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररण्णी कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा असोगा, विमला, सुप्पभा, सुदंसणा । नागकुमारराज नागकुमारेन्द्र धरण के लोकपाल महाराज कालपाल की चार अग्रमहिषियां कही गई हैं। जैसे—१. अशोका, २. विमला, ३. सुप्रभा, ४. सुदर्शना (१५३) ।
SR No.003440
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages827
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Dictionary, & agam_sthanang
File Size16 MB
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