Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे
१. कोई पुरुष (गुरुजनादि की) पूजा करता है किन्तु (दूसरों से) पूजा नहीं करवाता ।
२. कोई पुरुष दूसरों से पूजा करवाता है, किन्तु स्वयं पूजा नहीं करता ।
३. कोई पुरुष स्वयं भी पूजा करता है और दूसरों से भी पूजा करवाता है। ४. कोई पुरुष न स्वयं पूजा करता है और न दूसरों से पूजा करवाता है (११५)।
स्वाध्याय-सूत्र
११६ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा वाएइ णाममेगे णो वायावेइ, वायावेइ णाममेगे णो वाइ, एगे वाएइ वि वायावेइ वि, एगे णो वाएइ णो वायावेइ ।
पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष दूसरों को वाचना देता है, किन्तु दूसरों से वाचना नहीं लेता । २. कोई पुरुष दूसरों से वाचना लेता है, किन्तु दूसरों को वाचना नहीं देता ।
३. कोई पुरुष दूसरों को वाचना देता है और दूसरों से वाचना लेता भी है।
४. कोई पुरुष न दूसरों को वाचना देता है और न दूसरों से वाचना लेता है (११६) ।
स्थानाङ्गसूत्रम्
११७ – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा – पडिच्छति णाममेगे णो पडिच्छावेति, पडिच्छावेति णाममेगे णो पडिच्छति, एगे पडिच्छति वि पड़िच्छावेति वि, एगे णो पडिच्छति णो पडिच्छावेति ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष प्रतीच्छा (सूत्र और अर्थ का ग्रहण) करता है, किन्तु प्रतीच्छा करवाता नहीं है।
२. कोई पुरुष प्रतीच्छा करवाता है, किन्तु प्रतीच्छा करता नहीं है।
३. कोई पुरुष प्रतीच्छा करता भी है और प्रतीच्छा करवाता भी है।
४. कोई पुरुष प्रतीच्छा न करता है और न प्रतीच्छा करवाता है (११७) ।
११८ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - पुच्छइ णाममेगे णो पुच्छावेइ, पुच्छावेइ णाममेगे णो पुच्छर, एगे पुच्छइ वि पुच्छावेइ वि, एगे णो पुच्छर णो पुच्छावे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष प्रश्न करता है, किन्तु प्रश्न करवाता नहीं है।
२. कोई पुरुष प्रश्न करवाता है, किन्तु स्वयं प्रश्न करता नहीं है।
३. कोई पुरुष प्रश्न करता भी है और प्रश्न करवाता भी है।
४. कोई पुरुष न प्रश्न करता है और न प्रश्न करवाता है ( ११८) ।
११९ - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा वागरेति णाममेगे णो वागरावेति, वागरावेति णाममेगे णो वागरेति, एगे वागरेति वि वागरावेति वि, एगे णो वागरेति णो वागरावेति ।