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चतुर्थ स्थान— प्रथम उद्देश
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध प्रज्ञा वाला होता है। २. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध प्रज्ञा वाला होता है ३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध प्रज्ञा वाला होता है।
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४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध प्रज्ञा वाला होता है (२९) ।
३० – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धदिट्ठी, सुद्धे णामं एगे असुद्धदिट्ठी, असुद्धे णामं एगे सुद्धदिट्ठी, असुद्धे णामं एगे असुद्धदिट्ठी ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध दृष्टिवाला होता है ।
२. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध दृष्टिवाला होता है । कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध दृष्टिवाला होता है ।
३.
४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध दृष्टिवाला होता है (३०) ।
३१- - चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धसीलाचारे, सुद्धे णामं एगे असुद्धसीलाचारे, असुद्धे णामं एगे सुद्धसीलाचारे, असुद्धे णामं एगे असुद्धसीलाचारे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध शील- आचार वाला होता है। २. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध शील- आचार वाला होता है। ३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध शील- आचार वाला होता है। ४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध शील-अ ल-आचार वाला होता है (३१) ।
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३२ – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुद्धे णामं एगे सुद्धववहारे, सुद्धे णामं एगे असुद्धववहारे, असुद्धे णामं एगे सुद्धववहारे, असुद्धे णामं एगे असुद्धववहारे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध व्यवहारवाला होता है। २. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध व्यवहारवाला होता है।
३. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध व्यवहारवाला होता है ।
४. कोई पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध व्यवहारवाला होता है (३२) ।
३३ – चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— सुद्धे णामं एगे सुद्धपरक्कमे, सुद्धे णामं एगे असुद्धपरक्कमे, असुद्धे णामं एगे सुद्धपरक्कमे, असुद्धे णामं एगे असुद्धपरक्कमे ।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे—
१. कोई पुरुष जाति से शुद्ध होता है और शुद्ध पराक्रम वाला होता है।
२. कोई पुरुष जाति से तो शुद्ध, किन्तु अशुद्ध पराक्रम वाला होता है ।