Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ स्थान – प्रथम उद्देश
४. कोई पुरुष असत्य और असत्य रूपवाला होता है (३७)।
३८– चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णामं एगे सच्चमणे, सच्चे णामं एगे असच्चमणे, असच्चे णामं एगे सच्चमणे, असच्चे णामं एगे असच्चमणे।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे— १. कोई पुरुष सत्य और सत्य मनवाला होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य मनवाला होता है। ३. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य मनवाला होता है। ४. कोई पुरुष असत्य और असत्य मनवाला होता है (३८)।
३९- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चसंकप्पे, सच्चे णाम एगे असच्चसंकप्पे, असच्चे णामं एगे सच्चसंकप्पे, असच्चे णामं एगे असच्चसंकप्पे।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य संकल्प वाला होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य संकल्प वाला होता है। ३: कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य संकल्प वाला होता है। ४. कोई पुरुष असत्य और असत्य संकल्प वाला होता है (३९)।
४०-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णामं एगे सच्चपण्णे, सच्चे णामं एगे असच्चपण्णे, असच्चे णाम एगे सच्चपण्णे, असच्चे णाम एगे असच्चपण्णे।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य प्रज्ञा वाला होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य प्रज्ञा वाला होता है। ३. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य प्रज्ञा वाला होता है। ४. कोई पुरुष असत्य और असत्य प्रज्ञा वाला होता है (४०)।
४१- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णाम एगे सच्चदिट्ठी, सच्चे णाम एगे असच्चदिट्ठी, असच्चे णामं एगे सच्चदिट्ठी, असच्चे णामं एगे असच्चदिट्ठी।
पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य दृष्टि वाला होता है। २. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य दृष्टि वाला होता है। ३. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य दृष्टि वाला होता है। ४. कोई पुरुष असत्य और असत्य दृष्टि वाला होता है (४१)। ४२- चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सच्चे णाम एगे सच्चसीलाचारे, सच्चे णाम एगे