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गई हैं—तप्तजला, मत्तजला और उन्मत्तजला (४६०)।
४६१ - जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोदाए महाणदीए दाहिणे णं तओ अंतरणदीओ पण्णत्ताओ, तं जहा खीरोदा, सीहसोता, अंतोवाहिणी ।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में सीतोदा महानदी के उत्तर भाग में तीन अन्तर्नदियां कही गई हैं— क्षीरोदा, सिंहस्रोता और अन्तर्वाहिनी (४६१) ।
स्थानाङ्गसूत्रम्
४६२ –— जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोदाए महाणदीए उत्तरे णं तओ अंतरणदीओ पण्णत्ताओ, तं जहा उम्मिमालिणी, फेणमालिनी, गंभीरमालिणी ।
जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम में सीतोदा महानदी के दक्षिण भाग में तीन अन्तर्नदियां कही गई हैं— ऊर्मिमालिनी, फेनमालिनी और गम्भीरमालिनी (४६२) ।
धातकीषंड- पुष्करवर - सूत्र
४६३ –— एवं धायइसंडे दीवे पुरत्थिमद्धेवि अकम्मभूमीओ आढवेत्ता जाव अंतरणदीओत्ति रिवसेसं भाणिव्वं जाव पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धे तहेव णिरवसेसं भाणियव्वं ।
इसी प्रकार धातकीषण्ड तथा अर्धपुष्करवरद्वीप के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में जम्बूद्वीप के समान तीन-तीन अकर्मभूमियां तथा अन्तर्नदियां आदि समस्त पद कहना चाहिए (४६३) ।
भूकंप - सूत्र
४६४—– तिहिं ठाणेहिं देसे पुढवीए चलेज्जा, तं जहा
१. अहे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उराला पोग्गला णिवतेज्जा । तते णं उराला पोग्गला णिवतमाणा देसं पुढवीए चलेज्जा ।
२. महोरगे वा महिड्डीए जाव महेसक्खे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे उम्मज्ज - णिमज्जियं करेमाणे दे पुढवी चलेजा ।
३. णागसुवण्णाण वा संगामंसि वट्टमाणंसि देसं पुढवीए चलेज्जा ।
इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं देसे पुढवीए चलेज्जा ।
तीन कारणों से पृथ्वी का एक देश (भाग) चलित (कम्पित) होता है—
१. इस रत्नप्रभा नाम की पृथ्वी के अधोभाग में स्वभाव परिणत उदार (स्थूल) पुद्गल आकर टकराते हैं, उनके टकराने से पृथ्वी का एक देश चलित हो जाता है।
२. महर्द्धिक, महाद्युति, महाबल तथा महानुभाव महेश नामक महोरग व्यन्तरदेव रत्नप्रभा पृथ्वी के अधोभाग में उन्मज्जन-निमज्जन करता हुआ पृथ्वी के एक देश को चलायमान कर देता है।
३. नागकुमार और सुपर्णकुमार जाति के भवनवासी देवों का संग्राम होने पर पृथ्वी का एक देश चलायमान हो जाता है (४६४) ।