Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे
१. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत संकल्प वाला होता है।
२. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत किन्तु प्रणत ( हीन) संकल्प वाला होता है।
३. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत संकल्प वाला होता है।
४. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और संकल्प से भी प्रणत होता है ( ६ ) । ]
७
- [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा उण्णते णाममेगे उण्णतपण्णे उष्णते णाममेगे पणतपणे, पणते णाममेगे उण्णतपण्णे, पणते णाममेगे पणतपण्णे । ]
[पुन: पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे
१. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत प्रज्ञा वाला (बुद्धिमान् ) होता है। २. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत प्रज्ञा वाला ( मूर्ख) होता है। ३. . कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत प्रज्ञा वाला होता है।
४.
. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रज्ञा से भी प्रणत होता है (७) ।]
८ - [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उण्णते णाममेगे उण्णतदिट्ठी, उण्णते णामगे पणतदिट्ठी, पणते णाममेगे उण्णतदिट्ठी, पणते णाममेगे पणतदिट्ठी । ]
[ पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत दृष्टि वाला होता है।
२. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और प्रणत दृष्टि वाला होता है ।
३. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत दृष्टि वाला होता है।
४. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत दृष्टि वाला होता है (८) । ]
स्थानाङ्गसूत्रम्
९ - [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उण्णते णाममेगे उण्णतसीलाचारे, उण्णते णाममेगे पणतसीलाचारे, पणते णाममेगे उण्णतसीलाचारे, पणते णाममेगे पणतसीलाचारे । ]
[ पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे—
१. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत शील- आचार वाला होता है।
२. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत किन्तु प्रणत (हीन) शील- आचार वाला होता है।
३. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत शील- आचार वाला होता है।
४. कोई पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत शील- आचार वाला होता है (९)।]
१० - [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा उण्णते णाममेगे उण्णतववहारे, उण्णते णाममेगे
पणतववहारे, पणते णाममेगे उण्णतववहारे, पणते णाममेगे पणतववहारे । ]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे
१. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत व्यवहार वाला होता है। २. कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत व्यवहार वाला होता है।