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स्थानाङ्गसूत्रम्
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा उज्जू णाममेगे उज्जुपरिणते, उज्जू णाममेगे वंकपरिणते, वंके णाममेगे उज्जुपरिणते, वंके णाममेगे वंकपरिणते।
पुनः वृक्ष चार प्रकार के कहे गये हैं । १. कोई वृक्ष शरीर से ऋजु और ऋजु-परिणत होता है। २. कोई वृक्ष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र-परिणत होता है। ३.कोई वक्ष शरीर से वक्र. किन्त ऋज-परिणत होता है। ४. कोई वृक्ष शरीर से वक्र और वक्र-परिणत होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु-परिणत होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र-परिणत होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु-परिणत होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र-परिणत होता है (१३)।
१४- चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा—उज्जू णाममेगे उज्जुरूवे, उज्जु णाममेगे वंकरूवे, वंके णाममेगे उज्जुरूवे, वंके णाममेगे वंकरूवे।
एकामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-उज्जू णाममेगे उज्जुरूवे, उजू णाममेगे वंकरूवे, वंके णाममेगे उज्जुरूवे, वंके णाममेगे वंकरूवे।
पुनः वृक्ष चार प्रकार के कहे गये हैं१. कोई वृक्ष शरीर से ऋजु और ऋजु रूपवाला होता है। २. कोई वृक्ष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र रूपवाला होता है। ३. कोई वृक्ष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु रूपवाला होता है। ४. कोई वृक्ष शरीर से वक्र और वक्र रूपवाला होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु रूपवाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र रूपवाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु रूपवाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र रूपवाला होता है (१४)।
१५- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उजू णाममेगे उज्जुमणे, उज्जु णाममेगे वंकमणे, वंके णाममेगे उज्जुमणे, वंके णाममेगे वंकमणे।]
[पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु मनवाला होता है।