Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र शील-आचार वाला होता है (१९)।]
२०- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उज्जू णाममेगे उज्जुववहारे, उज्जु णाममेगे वंकववहारे, वंके णाममेगे उज्जुववहारे, वंके णाममेगे वंकववहारे।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु व्यवहार वाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र व्यवहार वाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु व्यवहार वाला होता है। ४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र व्यवहार वाला होता है (२०)।]
२१- [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—उज्जू णाममेगे उज्जुपरक्कमे, उज्जु णाममेगे वंकपरक्कमे, वंके णाममेगे उज्जुपरक्कमे, वंके णाममेगे वंकपरक्कमे।]
[पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु पराक्रम वाला होता है। २. कोई पुरुष शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र पराक्रम वाला होता है। ३. कोई पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु पराक्रम वाला होता है।
४. कोई पुरुष शरीर से वक्र और वक्र पराक्रम वाला होता है (२१)।] भाषा-सूत्र
२२– पडिमापडिवण्णस्स णं अणगारस्स कप्पंति चत्तारि भासाओ भासित्तए, तं जहाजायणी, पुच्छणी, अणुण्णवणी, पुट्ठस्स वागरणी।
भिक्षु-प्रतिमाओं के धारक अनगार को चार भाषाएँ बोलना कल्पता है, जैसे१. याचनी भाषा- वस्त्र-पात्रादि की याचना के लिए बोलना। २. प्रच्छनी भाषा— सूत्र का अर्थ और मार्ग आदि पूछने के लिए बोलना। ३. अनुज्ञापनी भाषा— स्थान आदि की आज्ञा लेने के लिए बोलना। ४. प्रश्नव्याकरणी भाषा— पूछे गये प्रश्न का उत्तर देने के लिए बोलना (२२)।
२३– चत्तारि भासाजाता पण्णत्ता, तं जहा सच्चमेगं भासज्जायं, बीयं मोसं, तइयं सच्चमोसं, चउत्थं असच्चमोसं।
भाषा चार प्रकार की कही गई है, जैसे१. सत्य भाषा- यथार्थ बोलना। २. मृषा भाषा-अयथार्थ या असत्य बोलना। ३. सत्य-मृषा भाषा- सत्य-असत्य मिश्रित भाषा बोलना। ४. असत्यामृषा भाषा— व्यवहार भाषा (जिसमें सत्य-असत्य का व्यवहार न हो) बोलना (२३)।