Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङ्गसूत्रम्
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भवति, पिबिस्सामीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । ]
[ पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'पीकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीकर' दुर्मनस्क होता तथा कोई पुरुष 'पीकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२५५) । पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'पीता हूं ' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'पीता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है ( २५६ ) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२५७) ।]
२५८ - [ तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा —– अपिबित्ता णामेगे सुमणे भवति, अपिबत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अपिबित्ता णामेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । २५९ – तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण पिबामीतेगे सुमणे भवति, ण पिबामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पिबामीतेगे णोमणे - णोदुम्मणे भवति । २६० – तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—ण पिबिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण पिबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पिबिस्सामीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । ]
[ पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'नहीं पीकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं पीकर ' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'नहीं पीकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२५८) । पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'नहीं पीता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं पीता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'नहीं पीता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२५९) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'नहीं पीऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं पीऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'नहीं पीऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२६०) ।]
२६१ - [ तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुइत्ता णामेगे सुमणे भवति, सुइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, सुइत्ता णामेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । २६२ – तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा सुमीतेगे सुमणे भवति, सुआमीतेगे दुम्मणे भवति, सुआमीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । २६३ – तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा — सुइस्सामीतेगे सुमणे भवति, सुइस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, सुइस्सामीतेगे णोसुमणे - णोदुम्मणे भवति । ]
[ पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं— कोई पुरुष 'सोकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'सोकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष ' सोकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है ( २६१) । पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'सोता हूं ' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'सोता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'सोता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है ( २६२ ) । पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष ' सोऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'सोऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष ‘सोऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२६३) ।]
२६४ - [ तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा— असुइत्ता णामेगे सुमणे भवति, असुइत्ता