Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthananga Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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स्थानाङसूत्रम्
देवे चइस्सामित्ति जाणइ ।
तीन कारणों से देव यह जान लेता है कि मैं च्युत होऊंगा१. विमान और आभूषणों को निष्प्रभ देखकर। २. कल्पवृक्ष को मुर्शाया हुआ देखकर। ३. अपनी तेजोलेश्या (कान्ति) को क्षीण होती देखकर। इन तीन कारणों से देव यह जान लेता है कि मैं च्युत होऊंगा (३६५)।. ३६६– तिहिं ठाणेहिं देवे उव्वेगमागच्छेजा, तं जहा
१. अहो! णं मए इमाओ एतारूवाओ दिव्वाओ देविड्डीओ दिव्वाओ देवजुतीओ दिव्वाओ देवाणुभावाओ लद्धाओ पत्ताओ अभिसमण्णागताओ चइयव्वं भविस्सति।।
२. अहो! णं मए माउओयं पिउसुक्कं तं तदुभयसंसटुं तप्पढमयाए आहारो आहारेयव्वो भविस्सति।
३. अहो! णं मए कलमल-जंबालाए असुईए उव्वेयणियाए भोमाए गब्भवसहीए वसियव्वं भविस्सइ।
इच्चेएहिं तिहिं ठाणेहिं देवे उव्वेगमागच्छेज्जा । तीन कारणों से देव उद्वेग को प्राप्त होता है
१. अहो! मुझे इस प्रकार की उपार्जित, प्राप्त एवं अभिसमन्वागत दिव्य देव-ऋद्धि, दिव्य देव-द्युति और दिव्य देवानुभाव को छोड़ना पड़ेगा।
२. अहो! मुझे सर्वप्रथम माता के ओज (रज) और पिता के शुक्र (वीर्य) का सम्मिश्रण रूप आहार लेना होगा।
३. अहो! मुझे कलमल-जम्बाल (कीचड़) वाले अशुचि, उद्वेजनीय (उद्वेग उत्पन्न करने वाले) और भयानक गर्भाशय में रहना होगा।
इन तीन कारणों से देव उद्वेग को प्राप्त होता है (३६६)।
विमान-सूत्र
३६७-तिसंठिया विमाणा पण्णत्ता, तं जहा वट्टा, तंसा, चउरंसा। . १. तत्थ णं जे ते वट्टा विमाणा, ते णं पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिया सव्वओ समंता पागारपरिक्खित्ता एगदुवारा पण्णत्ता। ____२. तत्थ णं जे ते तंसा विमाणा, ते णं सिंघाडगसंठाणसंठिया दुहतोपागारपरिक्खित्ता एगतो वेइया-परिक्खित्ता तिदुवारा पण्णत्ता।
३. तत्थ णं जे ते चउरंसा विमाणा, ते णं अक्खाडगसंठाणसंठिया सव्वतो समंता वेइयापरिक्खित्ता चउदुवारा पण्णत्ता ।
विमान तीन प्रकार के संस्थान (आकार) वाले कहे गये हैं—वृत्त, त्रिकोण और चतुष्कोण। १. जो विमान वृत्त होते हैं वे कमल की कर्णिका के आकार के गोलाकार होते हैं, सर्व दिशाओं और