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आयुक्त-आराध्य आयुक्त-वि० [सं०] संयुक्त नियुक्त । पु० मंत्री; कारिंदा; जो किसी विशेष दृष्टिसे या विशेष व्यक्तियोंके लिए, अथवा (कमिश्नर) किसी विशेष कार्यके लिए नियुक्त 'आयोग' स्वयं अपने हाथमें, सुरक्षित रखे गये हों। का सदस्य जिसे विशेष अधिकार दिया गया हो; विशेष आरक्षी(क्षिन)-वि० [सं०] रक्षा करनेवाला। पु० (पुलीस) कार्यके लिए जिसकी नियुक्ति की गयी हो, किस्मत या | दे० 'आरक्षक' । -त्वरितदल-पु० ( फ्लाइंगस्क्वैड ऑफ कमिश्नरीका प्रधान अधिकारी । -अधिकारी-पु० दि पुलीस) पुलिसके सिपाहियोंका वह विशेष दल जो (कमिशंड आफिसर) लेफ्टनेण्टसे बड़ा या वह अधिकारी | मोटर-गाड़ियों, मोटर साइकिलों आदिसे सज्जित हो, जिसकी नियुक्ति आयोग द्वारा की जाय। . जिससे वह त्वरित गतिसे चोर-डाकुओं, उपद्रवियोंका पीछा आयुध-पु० [सं०] युद्धका साधन, हथियार । -जीवी- कर सके पुलिसका तूफानी दस्ता, द्रतगामी आरक्षी-दल । (विन)-विक अस्त्रसे जीविका करनेवाला, सिपाही। आरज*-वि० दे० 'आर्य' । -पाल-पु० शस्त्रागारका अफसर । -शाला-स्त्री० आरजू-स्त्री० [फा०] इच्छा, कामना, बिनती। -मंदशस्त्रागार।
वि० इच्छुक । आयुधागार-पु० [सं०] हरबे-हथियारका गोदाम, आरण्य-वि० [सं०] जंगलका, बनैला । पु० जंगल । सिलहखाना।
आरण्यक-वि० [सं०] वन्य; वनमें उत्पन्न । पु० बनवासी। आयुर्बल-पु० [सं०] आयु, जिंदगी ।
आरत-वि० [सं०] शांत; सौम्य; * दे० 'आत। आयुर्वृद्धि-स्त्री० [सं०] उम्र बढ़ना ।
आरति-स्त्री० [सं०] विराम, रोका [हि०] दे० 'आरती'; आयुर्वेद-पु० [सं०] स्वास्थ्य-शास्त्र, चिकित्सा-शास्त्र ।। * दे० 'आति'। आयुर्वेदिक, आयुर्वेदी(दिन )-पु० [सं०] आयुर्वेदका आरती-स्त्री० पूजन-अभिनंदन आदिमें देवता या अभिशाता; चिकित्सक । वि० चिकित्सा-शास्त्र-संबंधी।
नंदनीय व्यक्तिके मुखके चारों ओर कपूर-दीपक घुमाना; आयुष्कर-वि० सं०] आयु बढ़ानेवाला।
वह पात्र जिसमें कपूर या दीपक रखा जाय; उस समय आयुष्काम-वि० [सं०] दीर्घायु चाहनेवाला ।
पढ़ा जानेवाला स्तोत्र । मु०-उतारना-अभिनंदन करना। आयुष्मान(मत्)-वि० [सं०] चिरंजीव, लंबी उम्रवाला। आरन*-पु० दे० 'आरण्य' । आयुष्य-वि० [सं०] दीर्घायु देनेवाला । पु० उम्र; आयु । आर-पार-पु० नदीके दोनों किनारे । अ० इस पावसे उस आयोग-पु० [सं०] नियुक्ति कोई काम देना या किसी पार्वतक। काममें लगाना; कार्य-संपादन; (कमीशन) कोई विशेष कार्य आरबल-पु० दे० 'आयुर्बल'। संपन्न करनेके लिए नियुक्त व्यक्तियोंका मंटल ।
आरब्ध-वि० [सं०] शुरू किया हुआ । पु० आरंभ । आयोजक-वि० [सं०] आयोजन करनेवाला । | आरब्धि-स्त्री० [सं०] आरंभ । आयोजन-पु० [सं०] जोड़ना, इकट्ठा करना; ग्रहण; आरभटी-स्त्री० [सं०] साहस; वह वृत्ति जो रौद्र, भयानक उद्योग प्रबंध; तैयारी।
| और वीर रसोंके वर्णनमें प्रयुक्त होती है (ना०)। आयोजित-वि० [सं०] जिसका आयोजन किया गया हो; आरव-पु० [सं०] आहट; चिल्लाहट; आवाज । संगृहीत; संबद्ध किया हुआ।
आरषी-वि० स्त्री० दे० 'आप'। आरंभ-पु० [सं०] शुरू, इब्तिदा, श्रीगणेश कार्य प्रयत्न | आरस*-पु० आलस्य । स्त्री० दे० 'आरसी'। उपक्रम शुरूका हिस्सा; उत्पत्ति तीव्रता अभिमान वध । | आरसी-स्त्री० आईना; आइना जड़ा छल्ला जिसे स्त्रियाँ आरंभक-वि० [सं०] आरंभ करनेवाला ।
दाहिने हाथके अँगूठेमें पहनती हैं। आरंभना*-स० क्रि० शुरू करना । अ०क्रि० शुरू होना। आरा-पु० [सं०] लकड़ी चीरनेका एक दाँतीदार औजार आरंभिक-वि० [सं०] आरंभका, शुरूमें होनेवाला । चमड़ा सीनेका सूजा; पहियेकी गड़ारी और पुट्टीके बीचकी आर-स्त्री० शत्रुता; घृणा; सूजा; अनी; डंकसोंटे या पटरी; धोड़िया बैठानेके लिए दीवारपर रखी जानेवाली पहियेमें लगी कील; *हठ, जिद; [अ०] शर्म, लज्जा। लकड़ी या पत्थरकी पटरी; * आला, ताखा । -कशभारकाटी-पु० शर्तवन्द कुलियोंकी भरती करनेवाला पु० आरा खींचनेवाला। व्यक्ति।
आराइश-स्त्री० [फा०] सजावट, शृंगार; कागजके फूल-पत्ते। आरक्त-वि० [सं०] हलका लाल; सुर्ख ।
आराजी-स्त्री० [अ०] दे० 'अराजी'। आरक्षक-पु० [सं०] प्रहरी, पहरेदार; (पुलिस) देशमें | आराति-पु० [सं०] शत्रु ।
आंतरिक शांति बनाये रखने तथा अपराधियों आदिको आराधक-वि० [सं०] आराधना करनेवाला, पूजा न्यायालयोंके समक्ष उपस्थित करनेका काम करनेवाला करनेवाला । कर्मचारी, पुलिसका सिपाही। -बल-पु० (पुलीसफोस) आराधन-पु० [सं०] पूजा, उपासना करना; तुष्ट, प्रसन्न आरक्षकोंका दल या समूह ।
करना; सेवा करना; सम्मान करना; पाककार्य; अर्जन । आरक्षिक-पु० [सं०] दे० 'आरक्षक'।
आराधना-स्त्री० [सं०] पूजा, उपासना सेवा । * स० कि. आरक्षित कोष-पु० [सं०] (रिजर्ल्ड फंड) विशेष आवश्य- पूजा, उपासना करना, आराधन करना । कता या संकटके समय काम आ सके, इस दृष्टिसे इकट्टा आराधनीय-वि० [सं०] आराधनके योग्य, पूज्य । किया जानेवाला कोष ।
आराधित-वि० [सं०] पूजित; सेवित । आरक्षित विषय-पु० [सं०] (रिजर्ल्ड सबजेक्ट्स) वे विषय | आराध्य-वि० [सं०] आराधन करने योग्य ।
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