Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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अध्यार
तकरा.'
भाषा ५५९
आस्तित्व अन्यत्व कर्तृत्व भाक्तृत्व पर्यायवत्व असर्वगतत्व अनादिसंततिबंधनबद्धत्व प्रदेशवत्व अरूपत्व नित्यत्व आदि भाव भी परिणामिक भाव हैं उनके संग्रह करनेके लिये सूत्रमें च शब्दका उल्लेख किया गया है । शंका-जब आस्तित्व आदि पारिणामिक भाव हैं तब जीवत्व आदिके समान सूत्रमें उनका उल्लेख करना चाहिये ? उत्तर--
. अन्यद्रव्यसाधारणत्वादसूत्रिताः॥ १३॥ 'जीवभव्याभव्यत्वानि च' इस सूत्रमें जो पारिणामिकभाव आत्माके ही असाधारण भाव हैं उनका उल्लेख है किंतु जो भाव आत्मा और उससे भिन्न भी द्रव्यों में रहनेवाले हैं उनका ग्रहण नहीं । अस्तित्व हूँ आदि जो भाव हैं वे आत्मा और उससे भिन्न भी द्रव्योंमें रहनेवाले हैं इसलिये वे साधारण हैं इसलिये | सूत्रमें उनका उल्लेख न कर च शब्दमें उनका संग्रह किया गया है अस्तित्व आदिधर्म किसप्रकार साधा-2 रण और पारिणामिक हैं उनका खुलासा इसप्रकार है
आस्तित्व भाव जीव आदि छहों द्रव्योंमें रहनेवाला है इसलिये वह साधारण है तथा अपनी उत्पत्ति में वह कर्मों के उदय क्षय उपशम और क्षयोपशमकी अपेक्षा नहीं रखता इसलिये पारिणामिक है। प्रत्येक द्रव्य आपसमें भिन्न भिन्न है इसलिये अन्यत्व धर्म छहों द्रव्योंमें रहने के कारण साधारण है तथा अपनी | उत्पचिमें कर्मोंके उदय क्षय आदिकी अपेक्षा नहीं रखता इसलिये पारिणामिक है । सब ही अपनी अपनी क्रियाओंके करने में स्वतंत्र हैं कर्ता स्वतंत्र ही होता है इसरीतिसे कर्तत्व धर्म सब द्रव्यों में रहनेकेा कारण साधारण है और अपनी उत्पचिमें कर्मों के उदय आदिकी अपेक्षा नहीं रखता इसलिये पारिणामिक है।शंका
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