Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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हूँ लक्षण और व्यंजनोंसे विराजमान हैं तथा वैडूर्य मणिमयी दंडोंके धारक, माणि सुवर्ण और मोतियोंसे - अलंकृत रत्नशलाकाओंसे शोभित, सुवर्णमयी लटकनोंके धारक और चांदीके पत्रोंसे मनोहर ऐसे
अष्ट प्रातिहायाँसे व्याप्त हैं। सदा भव्यजीवोंके स्तवन बंदना और पूजाके योग्य हैं। अनादि निधन हैं। संख्यामें एक सौ आठ १०८ हैं। संसारमें जितने भी विशिष्ट गुण हैं उनसे उनके गुणोंका वर्णन | किया जाता है। कलश झाडी आदि जो एकसौ आठ उपकरण हैं उनसे भूषित हैं विशेष क्या ? उन
प्रतिमाओंका जो वैभव है वह वर्णनातीत है-कोई भी उसका वर्णन नहीं कर सकता। वे प्रतिमा साक्षात ६ मूर्तिक धर्मसरीखी जान पडती हैं। . भूमितलसे पांचसो योजनकी ऊंचाई पर नंदन वन है जो कि पांच सौ योजन चौडा, मेरुपर्वतके
ममा बाधा धारक, पावर वेदिकासे वोष्ठित और चडीके समान गोल परिधिका धारक है। । IIk १. नंदन वनके समीप मेरुपर्वतकी वाह्य चौडाई नौ हजार नौसौ चौवन योजन और एक योजनके
ग्यारह भागोमें छह-भाग प्रमाण है और वाह्य परकोट इकतीस हजार चारसौ उनासी योजन कुछ अधिक है। नंदन वनके समीप मेरुपर्वतकी भीतरी चौडाई आठ हजार नौसौं चौवन और भीतरी परकोट अट्ठाईस हजार तीनसौ सोलह योजन और एक योजनके ग्यारह भागोंमें आठ भाग है। : ::. यहांपर मेरुपर्वतकी चारो ओर चार गुफायें हैं उनमें पूर्वदिशामें मणिगुफा है । दक्षिण दिशामें गंधर्वगुफा, पश्चिम दिशामें चारण गुफा और उचरदिशामें चंद्र नामकी गुफा है । ये चारों गुफा तीस तीस योजन चौडी लंबी हैं। इनका परकोट नब्बे योजन ९० योजन कुछ अधिक है और पचास पचास योजन गहरी हैं। इन गुफाओंमें क्रमसे सोम यम वरुण और खचरों (वैश्रवणों) का विहार है अर्थात्
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११.
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