Book Title: Tattvartha raj Varttikalankara
Author(s): Gajadharlal Jain, Makkhanlal Shastri
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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डा अम्बार
२०५१
प्रकीर्णक विमान हैं। ब्रह्मलोक और ब्रह्मोचर स्वर्गों में चार लाख विमान हैं। उनमें तीनसे चौसठ तो . तरा. भाषा श्रेणिबद्ध विमान हैं और तीन लाख निन्यानवे हजार छहसै छचीस प्रकीर्णक विमान हैं । लांतव और
| कापिष्ठ स्वर्गों में पचास हजार विमान हैं उनमें एकसौ अट्ठावन श्रेणिबद्ध विमान हैं और उनचास हजार || || आठसै बियालीस प्रकीर्णक विमान हैं। शुक्र और महाशुक्र स्वर्गों में चालीस हजार विमान हैं उनमें ||
श्रेणिबद्ध विमान तिहचर हैं और उनतालीस हजार नौसे सत्ताईस प्रकीर्णक विमान हैं। शतार और | सहस्रार स्वर्गों में छह हजार विमान हैं उनमें श्रणिबद्ध विमान उनहचर हैं और उनसठिसौइकतीसं प्रकीणक विमान हैं। आरण और अच्युत स्वोंमें सातसै विमान हैं उनमें तीनसौ तीस श्रेणिबद्ध विमान
और तीनसौ सचर प्रकीर्णक विमान हैं । इसप्रकार इन चौदह स्वर्गोंमें कुछ विमान चौरासी लाख | छयानवे हजार सातसौ हैं।
औरण और अच्युत स्वर्गों के ऊपर लाखों योजनोंके बाद अधोवेयक विमान हैं। उनमें सुदर्शन हूँ| अमोघ और सुप्रबुद्ध नामके तीन विमानोंके पटल हैं।सुदर्शन विमानकी चारो दिशाओंमें चार विमानोंकी
श्रेणियां हैं। और एक एक विमानश्रेणिमें दश दश विमान हैं। सुदर्शन पटलके ऊपर लाखों योजनोंके बाद अमोघ नामका विमानपटल है। उप्तकी चारो दिशाओंमें चार विमानश्रोणियां हैं और प्रत्येक श्रोणिमें || नौ नौ विमान हैं। अमोघ पटलके ऊपर लाखों योजनोंके बाद सुप्रबुद्ध नामका विमानपटल है। उसकी
१-मानत पाणत आरण और अच्युत इन चारो स्वर्गों के विमानोंका एक साथ संकलन है । इसलिये श्रेणिबद्ध और प्रकी. णक विमानों का उल्लेख करते समय सोलह वर्गों का उल्लेख न कर चौदह स्वर्गीका ही उल्लेख किया गया है। मानत और लाप्राणत स्वर्गीके श्रेणिबद्ध और प्रकीर्णक विमान आरण और अच्युतके विमानोंमें अन्तर्भूत हैं।
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RASAGES